चंद्रकांत देवांगन, दुर्ग। यूपीएससी के रिजल्ट में भिलाई की बेटी सिमी करण ने देश में 31 रैंक हासिल कर छत्तीसगढ़ के लिए इतिहास रच दिया है. सिमी ने महज 22 साल की उम्र में यह इतिहास रचा है. सिमी शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल रही सिमी 12वीं की सीबीएसई बोर्ड में भी छत्तीसगढ़ में टॉप कर चुकी है. वहीं आईआईटी की परीक्षा में भी प्रदेश में टॉप स्थान प्राप्त किया था.

सिमी करण ने भिलाई के रिसाली डीपीएस में अपनी पढ़ाई पूरी की. सिमी के पिता डीएन करण भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारी हैं, जबकि उनकी मां सुजाता करण डीपीएस में ही टीचर है. शुरू से ही पढ़ाई में मेधावी रही सिमी 12वीं करने के बाद इंजीनियरिंग की तैयारी की और मुंबई आईआईटी के लिए सेलेक्ट भी हो गई.

उन्होंने मुंबई के आईआईटी से इलेक्ट्रिकल ब्रांच से बीटेक किया और फिर उसी दौरान स्लम बच्चों को पढ़ाने के दौरन उसने जब उन गरीब बच्चों का संघर्ष देखा और भी ऐसे लोगों के जिंदगी में बदलाव लाने की सोची और यूपीएससी की तैयारी में जुट गई. बिना किसी कोचिंग की मदद से सिमी ने यह मुकाम हासिल किया है.

सिमी का कहना था कि मई में उसके आईआईटी की परीक्षा खत्म हुई और जून माह में यूपीएससी का प्रिलिम्स था, ऐसे में उसके पास बहुत कम वक्त था. वो कहती है मैं हार्डवर्कर हूँ पर कम समय होने के कारण मैने स्मार्ट वर्क को चुना तब जाकर मैं सफल हो पाई. सिमी का यह पहला यूपीएससी अटेम्ट था, जिसमें उन्होंने 31वां रैंक हासिल किया है.

सिम्मी का कहना है कि वो एजुकेशन और वूमेन एम्पोरमेंट में काम करना चाहती है. वहीं काम करने के लिए मध्यप्रदेश की तरफ उसका ज्यादा झुकाव है. स्कूल के दिनों में एक विजिट के दौरान उसे झाबुआ जाने का मौका मिला था, जब उसने वहां की समस्या देखी तो उसे लगा कि मध्यप्रदेश जैसे क्षेत्र में काम करने की इच्छा है.

कलेक्टर सर्वेश्वर भूरे और एसपी प्रशांत ठाकुर ने सिमी और उसके परिवार का सम्मान करते हुए कहा कि यह न केवल जिले बल्कि प्रदेश के लिए गर्व की बात है. सिमी की सफलता को देखकर और भी छात्र उनसे प्रेरणा लेंगे. आने वाले वक्त में हमारे जिले और एजुकेशन हब से यूपीएससी में सफलता प्राप्त करेंगे.

कलेक्टर सर्वेश्वर भूरे का कहना था कि वो खुद इस परीक्षा से गुजरे है. 25 साल की उम्र में ये सफलता मिली थी पर सिमी ने जो 22 साल की उम्र में ये सफलता हासिल करके खुद को साबित कर दिया है, उनका भविष्य और भी उज्ज्वल है.