US-Iran Tension: परमाणु कार्यक्रम (Nuclear Program) को लेकर अमेरिका और ईरान के बीच रिश्ते तल्ख चल रहे हैं। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) कई बार सैन्य कार्रवाई की धमकी ईरान दे चुके हैं। ईरान और अमेरिका के बीच लंबे समय बाद एक बार फिर बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। 12 अप्रैल को दोनों देशों के बीच ओमान की राजधानी मस्कट में बातचीत हुई जो करीब ढाई घंटे तक चली। यह बातचीत इनडायरेक्ट थी। यानी दोनों पक्ष दो कमरों में बैठे थे और ओमान के प्रतिनिधि एक-दूसरे को अपना संदेश दे रहे थे। दोनों देशों ने 19 अप्रैल को अगली बैठक करने पर सहमति जताई है।

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सिन्हुआ न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, बातचीत के बाद मस्कट में पत्रकारों को संबोधित करते हुए अराघची ने कहा कि वार्ता का पहला दौर “रचनात्मक था और एक शांत और बहुत सम्मानजनक माहौल में आयोजित किया गया था। किसी अनुचित भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया और दोनों पक्षों ने समान स्थिति से पारस्परिक रूप से अनुकूल समझौते की प्राप्ति तक वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की।

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ईरानी मंत्री ने क्या कहा?
ईरानी मंत्री सईद अब्बास अराघची ने बताया कि ईरान और अमेरिका के बीच बातचीत का अगला दौर अगले शनिवार को होगा. हालांकि यह बातचीत मस्कट में न होकर किसी और जगह पर हो सकती है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने तय किया है कि अगली बार बातचीत में वे एक ऐसे सामान्य खाके पर काम करेंगे, जो किसी समझौते की दिशा में ले जाए। अराघची ने उम्मीद जताई कि अगले दौर में बातचीत का एजेंडा तय किया जाएगा और इसके लिए एक टाइम टेबल भी होगा। उन्होंने कहा कि कोशिश होगी कि अब असली और ठोस बातचीत की शुरुआत हो सके।

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वहीं न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पहले ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई (Ali Khamenei ) अमेरिका से किसी डील के खिलाफ थे। हालांकि ईरानी अधिकारियों ने उन्हें समझाया कि अगर ट्रंप के सामने झुके नहीं तो सरकार गिर सकती है और देश में भारी तबाही हो सकती है।

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रिपोर्ट में बताया गया है कि ईरान की संसद और न्यायपालिका के बड़े नेताओं ने खामेनेई से कहा कि अगर अमेरिका और इजरायल की सैन्य कार्रवाई को रोकना है तो बातचीत करना बहुत जरूरी है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर बातचीत नहीं हुई या असफल रही तो नेतांज़ और फोर्दो जैसे परमाणु ठिकानों पर हमला तय है। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन ने भी खामेनेई को बताया कि देश की आर्थिक हालत और आंतरिक स्थिति इतनी कमजोर है कि वह अब किसी युद्ध का बोझ नहीं उठा सकती। अमेरिका और ईरान के बीच यह बातचीत उनके लंबे समय से चले आ रहे तनाव भरे रिश्तों में एक अहम मोड़ साबित हो सकती है, लेकिन इसका नतीजा इस बात पर निर्भर करेगा कि दोनों देश कितनी ईमानदारी और लचीलापन दिखाते हैं। वहीं, बातचीत की शुरुआत एक अच्छा कदम माना जा रही है, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने साफ चेतावनी दी है कि अगर कोई समझौता नहीं हुआ तो अमेरिका ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला कर सकता है।

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खामेनेई ने रखी हैं ये शर्तें

खामेनेई ईरानी अधिकारियों के दबाव में अब अमेरिका के साथ परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत के लिए तैयार हो गए हैं, लेकिन उन्होंने इसके लिए कुछ शर्तें रखी हैं। खामेनेई ने कहा है कि ईरान थोड़ी मात्रा में यूरेनियम संवर्धन कम करने और उस पर सख्त निगरानी रखने की बात पर बातचीत कर सकता है, लेकिन उन्होंने साफ किया है कि ईरान अपने मिसाइल कार्यक्रम पर कोई चर्चा नहीं करेगा, क्योंकि यह उसकी सुरक्षा नीति का अहम हिस्सा है। यही बात अमेरिका के लिए एक बड़ी रुकावट बन सकती है। ईरान अपने क्षेत्रीय नीति और आतंकी संगठनों जैसे हमास, हिजबुल्लाह और हूती को दिए जा रहे समर्थन पर बातचीत के लिए तैयार है।

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ट्रंप ने बहुत बुरे दिन का सामना करने की दी है चेतावनी

वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर कोई समझौता नहीं हुआ, तो ईरान को “बहुत बुरे दिन” का सामना करना पड़ेगा। अमेरिका का कहना है कि वह हर हाल में ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना चाहता है।

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