अमेरिका में सांसदों के एक समूह ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप(Donald Trump) से हाल ही में जारी किए गए H-1B वीज़ा से जुड़े नए नियम और शुल्क में की गई बढ़ोतरी को वापस लेने की अपील की है। सांसदों का कहना है कि वीज़ा आवेदन पर लगभग 1 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब 83 लाख रुपये) की अतिरिक्त फीस और अन्य प्रतिबंधों से अमेरिका की तकनीकी नेतृत्व क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

सांसदों ने चेतावनी दी है कि यह फैसला न केवल अमेरिकी कंपनियों और स्टार्टअप्स पर आर्थिक बोझ बढ़ाएगा, बल्कि भारत के साथ अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी को भी कमजोर कर सकता है। H-1B वीज़ा का सबसे अधिक लाभ भारतीय तकनीकी पेशेवरों को मिलता रहा है, जो अमेरिकी टेक सेक्टर में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

19 सितंबर के आदेश पर आपत्ति

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा सदस्य जिमी पनेटा के साथ कांग्रेस सदस्यों अमी बेरा, सालुद कार्बाजल और जूली जॉनसन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक पत्र लिखकर हाल ही में H-1B वीज़ा कार्यक्रम पर लगाए गए नए प्रतिबंधों पर गंभीर चिंता जताई है। सांसदों ने ट्रंप की उस घोषणा पर आपत्ति दर्ज कराई है, जिसमें कुछ गैर-प्रवासी कामगारों के अमेरिका में प्रवेश पर रोक के साथ-साथ नए H-1B आवेदनों पर 100,000 अमेरिकी डॉलर (लगभग 83 लाख रुपये) का भारी शुल्क लगाने का प्रावधान शामिल है।

पत्र में सांसदों ने कहा, “हाल ही में भारत गए प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के रूप में, हम न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रतिस्पर्धात्मक लाभ के लिए, बल्कि भारत के साथ हमारे संबंधों और हमारे द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने वाले भारतीय-अमेरिकी समुदायों के लिए भी H-1B कार्यक्रम के महत्व को समझते हैं।” उन्होंने स्पष्ट रूप से आगाह किया कि यह नीति भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी पर प्रतिकूल असर डाल सकती है, जो पिछले वर्षों में रक्षा, प्रौद्योगिकी और आर्थिक सहयोग के क्षेत्र में मजबूत हुई है।

सांसदों ने आगे लिखा,  “हम आपसे सम्मानपूर्वक अनुरोध करते हैं कि आप 19 सितंबर की घोषणा को स्थगित करें और ऐसी किसी भी नीति पर पुनर्विचार करें जो H-1B कार्यक्रम तक उचित पहुंच को कमतर करती हो।” उन्होंने जोर देकर कहा कि H-1B पेशेवर अमेरिकी कामगारों को विस्थापित नहीं करते, बल्कि नवाचार, पेटेंट निर्माण और व्यापारिक विकास को बढ़ावा देकर अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं। सांसदों के अनुसार, यह कार्यक्रम STEM (विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित) क्षेत्रों में अमेरिका की प्रतिस्पर्धा की आधारशिला है।

उन्होंने आगे कहा कि ऐसे समय में जब चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उन्नत तकनीकों में ‘आक्रामक रूप से निवेश’ कर रहा है, अमेरिका को वैश्विक प्रतिभा को आकर्षित करना जारी रखना चाहिए, ताकि उसका नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र, रक्षा औद्योगिक क्षमता और दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त बनी रहे।

सांसदों ने विशेष रूप से भारत के संदर्भ में कहा “भारत के मामले में, जो पिछले साल 71 प्रतिशत H-1B वीज़ाधारकों का मूल देश था, इस प्रतिभा को आकर्षित करना हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख लोकतांत्रिक साझेदार के साथ हमारी रणनीतिक साझेदारी को भी मजबूत करता है।

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