अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) की नई ग्रूमिंग नीति ने धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों में व्यापक चिंता पैदा कर दी है। रक्षा सचिव पीट हेगसेथ द्वारा जारी हालिया मेमो में सैन्य दाढ़ी रखने की छूट को लगभग समाप्त कर दिया गया है। नई नीति के अनुसार सेना में दाढ़ी की अनुमति अब “सामान्यतः अनुमत नहीं” होगी। यह आदेश 2010 से पहले की मानकों की ओर वापसी माना जा रहा है, जब धार्मिक आधार पर दाढ़ी रखने की छूट बेहद सीमित थी।
1000 इमारतों पर सोलर पैनल लगाएगी रेखा सरकार, 55 मेगावाट ग्रीन एनर्जी का लक्ष्य
इस बदलाव से सिख, मुस्लिम और यहूदी जैसे धार्मिक समुदायों के सैनिकों की सेवा प्रभावित हो सकती है, क्योंकि कई परंपरागत रूप से धार्मिक कारणों से दाढ़ी रखते हैं। नीति को लेकर धार्मिक स्वतंत्रता और समान अवसर के मुद्दे पर नई बहस शुरू हो गई है।
क्या है पूरा मामला?
30 सितंबर को मरीन कॉर्प्स बेस क्वांटिको में 800 से अधिक वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को संबोधित करते हुए रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने “सुपरफिशियल व्यक्तिगत अभिव्यक्ति” वाले दाढ़ी रखने पर रोक लगाने की घोषणा की। उन्होंने कहा, “हमारे पास नॉर्डिक पगानों की सेना नहीं है।” उनके भाषण के कुछ ही घंटों बाद, पेंटागन ने सभी सैन्य शाखाओं को निर्देश जारी किया। इसमें धार्मिक छूट सहित अधिकांश दाढ़ी छूट को 60 दिनों के भीतर समाप्त करने का आदेश दिया गया।
UPSC CSE Answer Key: यूपीएससी का बड़ा फैसला, अब प्रीलिम्स रिजल्ट के तुरंत बाद जारी होगी आंसर-की
हालांकि, नई नीति विशेष बलों के लिए स्थानीय आबादी में घुलमिलने के उद्देश्य से दी जाने वाली अस्थायी छूट को लागू नहीं करेगी। शेष सभी सैनिकों पर यह नया नियम लागू होगा, जिससे सिख, मुस्लिम और यहूदी जैसे धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के लिए चिंता बढ़ गई है। 2017 में अमेरिकी सेना ने निर्देश 2017-03 के माध्यम से सिख सैनिकों को दाढ़ी और पगड़ी की स्थायी छूट दी थी। इसी तरह मुस्लिम, ऑर्थोडॉक्स यहूदी और नॉर्स पगान सैनिकों को भी धार्मिक आधार पर छूट मिली हुई थी।
जुलाई 2025 में सेना ने चेहरे के बालों की नीति को अपडेट किया, लेकिन उस समय धार्मिक छूट को सुरक्षित रखा गया था। हालांकि, नई नीति इन प्रगतिशील बदलावों को उलट रही है और 1981 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले गोल्डमैन बनाम वेनबर्गर से प्रेरित सख्त ग्रूमिंग नियमों पर लौट रही है।
सिख समुदाय की प्रतिक्रिया
अमेरिकी सेना में सिखों के अधिकारों के लिए प्रमुख संगठन, सिख कोअलिशन, ने रक्षा सचिव पीट हेगसेथ की टिप्पणियों पर “क्रोधित और गहरी चिंता” व्यक्त की है। संगठन का कहना है कि सिखों के केश (अकाटे बाल) उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा हैं। सिख कोअलिशन ने इस नीति को वर्षों की समावेशिता की लड़ाई को धोखा देने जैसी कार्रवाई बताया। एक सिख सैनिक ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा, “मेरे केश मेरी पहचान हैं। यह समावेशिता के लिए वर्षों की लड़ाई के बाद विश्वासघात जैसा लगता है।”
सिख अमेरिकी सेना में प्रथम विश्व युद्ध से सेवा दे रहे हैं। 1917 में भगत सिंह थिंड पहले ज्ञात सिख थे जिन्होंने अमेरिकी सेना में भर्ती होकर पगड़ी पहनने की अनुमति प्राप्त की। 1981 के बाद सख्त ग्रूमिंग नियम लागू हुए, लेकिन इसके बावजूद सिखों के अधिकारों को अदालतों ने कई बार सुरक्षित रखा। उदाहरण के लिए:
2011 में रब्बी मेनाचेम स्टर्न
2016 में कैप्टन सिमरतपाल सिंह
2022 में सिंह बनाम बर्गर
इन मामलों में अदालतों ने सिखों के दाढ़ी और पगड़ी रखने के अधिकार को मजबूत किया।
नई ग्रूमिंग नीति केवल सिखों तक सीमित नहीं है। कई धार्मिक और नस्लीय समूह इससे प्रभावित हो सकते हैं:
मुस्लिम सैनिकों के लिए दाढ़ी धार्मिक दायित्व है।
ऑर्थोडॉक्स यहूदियों के लिए पायोट और दाढ़ी पवित्र माने जाते हैं।
नॉर्स पगान सैनिक भी इसे अपनी मान्यताओं के खिलाफ बता रहे हैं।
काले सैनिकों पर चिकित्सकीय असर पड़ सकता है, क्योंकि छद्म फॉलिकुलाइटिस बार्बे (रेजर बंप्स) के कारण पहले दी जाने वाली स्थायी चिकित्सकीय छूट अब समाप्त हो रही है। सीएआईआर (Council on American-Islamic Relations) ने रक्षा सचिव पीट हेगसेथ को पत्र लिखकर स्पष्टता मांगी है: “क्या मुस्लिम, सिख और यहूदी सैनिकों की धार्मिक स्वतंत्रता संरक्षित रहेगी?” संगठन ने प्रथम संशोधन का हवाला देते हुए कहा कि लंबे समय से पेंटागन की नीतियां इन अधिकारों को मान्यता देती रही हैं।
Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m
देश-विदेश की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक
लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक