अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका पाकिस्तान की उस पेशकश के लिए बहुत आभारी है, जिसमें इस्लामाबाद ने गाजा में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल (ISF) में शामिल होने या कम से कम विचार करने की इच्छा जताई है। हालांकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अभी तक किसी भी देश से कोई औपचारिक सहमति न तो मांगी गई है और न ही प्राप्त हुई है।
स्टेट डिपार्टमेंट में आयोजित साल के अंत की एक दुर्लभ और लंबी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, रूबियो से जब पूछा गया कि क्या अमेरिका को गाजा में शांति स्थापना के लिए सैनिक भेजने पर पाकिस्तान की सहमति मिल चुकी है, तो उन्होंने कहा- हम पाकिस्तान के आभारी हैं कि उसने इसका हिस्सा बनने की पेशकश की है, या कम से कम इस पर विचार करने की पेशकश की है।
रूबियो ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका को भरोसा है कि इस मिशन में अन्य देशों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जा सकेगी। उन्होंने कहा- हमारे पास ऐसे कई देश हैं जो इस संघर्ष के सभी पक्षों को स्वीकार्य हैं और जो इस फोर्स का हिस्सा बनने के लिए आगे आने को तैयार हैं।
ट्रंप प्रशासन की कोशिशें और चुनौतियां
रूबियो की ये टिप्पणियां ऐसे समय में आई हैं जब ट्रंप प्रशासन को इजरायल–हमास युद्ध को समाप्त करने के लिए अपनी शांति योजना को आगे बढ़ाने में गंभीर राजनीतिक और कूटनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। समाचार एजेंसी एपी के अनुसार, रूबियो ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन बाधाओं पर खुलकर बात की।
इसी बीच, रायटर्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर के लिए यह एक शुरुआती और अहम परीक्षा है, क्योंकि वाशिंगटन पाकिस्तान पर प्रस्तावित गाजा मिशन में सैनिक योगदान देने का दबाव बना रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, मुनीर आने वाले हफ्तों में वॉशिंगटन की यात्रा कर सकते हैं और इस दौरान उनकी ट्रंप से संभावित मुलाकात हो सकती है। यह बीते छह महीनों में ट्रंप के साथ उनकी तीसरी बैठक होगी।
पाकिस्तान की सीमाएं और रुख
इस मुद्दे पर पाकिस्तान की स्थिति को रेखांकित करते हुए विदेश मंत्री इशाक डार ने पिछले महीने कहा था कि पाकिस्तान शांति स्थापना में योगदान देने पर विचार कर सकता है, लेकिन हमास को निरस्त्र करना हमारा काम नहीं है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई देश इस मिशन में शामिल होने को लेकर सशंकित हैं, खासकर अगर इसके जनादेश में हमास को हथियारों से वंचित करना शामिल होता है। आशंका है कि ऐसा करने से वे सीधे संघर्ष में खिंच सकते हैं और अपने देशों में फिलिस्तीन समर्थक व इजरायल विरोधी समूहों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
उच्चस्तरीय बैठकें और अमेरिकी कूटनीति
रूबियो की यह प्रेस वार्ता ऐसे समय में हुई है जब गाजा और रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर मियामी में उच्चस्तरीय बैठकें चल रही हैं। वाइट हाउस के एक अधिकारी ने, नाम न छापने की शर्त पर, एपी को बताया कि वरिष्ठ दूत स्टीव विटकॉफ और जेराड कुश्नर मिस्र, तुर्की और कतर के अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं, ताकि गाजा युद्ध को समाप्त करने की योजना के अगले चरण पर रास्ते तलाशे जा सकें।
इस बीच, रूबियो ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी संभाल ली है और वे ट्रंप के अमेरिका फर्स्ट एजेंडे के प्रमुख समर्थक के रूप में उभरे हैं, जिसमें वीजा नीतियों से लेकर स्टेट डिपार्टमेंट में आंतरिक सुधार तक शामिल हैं। कुल मिलाकर, गाजा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल का विचार अभी शुरुआती चरण में है। अमेरिका को जहां कुछ देशों से सकारात्मक संकेत मिले हैं, वहीं इस योजना को जमीन पर उतारने से पहले राजनीतिक सहमति, सुरक्षा जोखिम और क्षेत्रीय संवेदनशीलताओं जैसी बड़ी चुनौतियों का समाधान करना बाकी है।
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