चंडीगढ़। अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाने के फैसले ने पंजाब के उद्योगों में हलचल मचा दी है। इस फैसले से पंजाब के ऑटो पार्ट्स, बासमती चावल, हैंड टूल्स और चमड़ा उद्योग से जुड़े निर्यातकों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। यह टैरिफ भारतीय निर्यात के लिए आर्थिक रूप से प्रतिकूल साबित होगा, जबकि इससे चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों को फायदा हो सकता है। विशेष रूप से चीन सस्ते कच्चे माल के कारण पहले ही लागत में भारत से आगे है।

पंजाब से अमेरिका को निर्यात होने वाला बासमती चावल एक प्रमुख उत्पाद है। पाकिस्तान पर केवल 12% टैरिफ होने के कारण उसे सीधा लाभ मिलेगा, जबकि पंजाब और हरियाणा के निर्यातकों को भारी झटका लग सकता है। पंजाब बासमती एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के बल कृष्ण गर्ग ने बताया कि पाकिस्तानी बासमती बाजार को इस टैरिफ से बढ़ावा मिलेगा। 2024-25 में भारत से अमेरिका को 2.74 लाख मीट्रिक टन बासमती निर्यात हुआ, जिसकी कीमत 2,849 करोड़ रुपये थी। गैर-बासमती चावल का निर्यात 61,341 मीट्रिक टन रहा, जिसकी कीमत 462.5 करोड़ रुपये थी। टैरिफ बढ़ने से चावल बाजार पर संकट गहरा सकता है।

पंजाब, एक सीमावर्ती राज्य होने के कारण, पहले से ही कई चुनौतियों का सामना करता है। भौगोलिक स्थिति के कारण बंदरगाहों तक माल पहुंचाने में भारी लागत और करों का बोझ पड़ता है। पंजाब का उद्योग मुख्य रूप से घरेलू उत्पादों पर निर्भर है। हालांकि, पंजाब सरकार ‘उद्योग क्रांति’ पहल के तहत कारोबार को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है, लेकिन इसका लाभ अभी मुख्य रूप से घरेलू बाजार तक सीमित है। टैरिफ के कारण निर्यातक बंदरगाहों के करीब स्थानांतरित होने पर विचार कर रहे हैं, जिससे राज्य की औद्योगिक वृद्धि प्रभावित हो सकती है।

लुधियाना के एक प्रमुख ऑटो पार्ट्स निर्यातक ने बताया कि 50% टैरिफ से चीन के मुकाबले उनकी प्रतिस्पर्धी स्थिति कमजोर होगी, जहां सस्ता स्टील उपलब्ध है। हैंड टूल्स उद्योग भी इस टैरिफ से प्रभावित होगा, क्योंकि वियतनाम और तुर्की जैसे देश कम टैरिफ के कारण लाभ में रहेंगे। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष एससी रल्हन ने कहा कि यह टैरिफ उद्योग के लिए बड़ा झटका है।