US Terror Attack: नए साल के दो दिन के अंदर ही अमेरिका (America) ताबड़तोड़ आतंकी हमले से दहल उठा है। 24 घंटे के अंदर अमेरिका के तीन बड़े शहरों में तीन आतंकी हमले (3 terrorist attack) हुए, जिसने ‘अंकल सैम’ (Uncle Sam (जिसका नाम यूएस के समान ही है) संयुक्त राज्य अमेरिका की संघीय सरकार या सामान्य रूप से देश का एक सामान्य राष्ट्रीय व्यक्तित्व है.) का दहला दिया। हमलावरों ने पहला हमला अमेरिका के न्यू ऑर्लिन्स (New Orleans) की बॉर्बन स्ट्रीट (Bourbon Street) पर नए साल का जश्न मना रहे लोगों पर किया। इसमें जश्म मना रहे लोगों की भीड़ में ट्रक घुसाते हुए लोगों को कुचलते हुए निकल गई। इसमें 15 लोगों की मौत हो गई। वहीं दूसरा हादसा लास वेगास (Las Vegas) शहर में ट्रंप इंटरनेशल होटल (Trump International Hotel) के पास किया गया। इसमें एक की मौत हो गई। जबकि तीसरा हमला न्यूयॉर्क (New York) के नाइट क्लब में हुआ। यहां दो लोगों ने मास शूटिंग करते हुए 11 लोगों को गोली मार दी। हमले में फिलहाल किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। एफबीआई को न्यू ओर्लियंस अटैक में टेरर एंगल मिला है, इसकी जांच में जुट गई है।
वहीं अमेरिका में नए साल पर हुए ताबड़तोड़ हमले ने उसकी चिंता बढ़ा दी है। खासकर नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण से 24 दिन पहले हुए ये हमले उनके लिए चुनौती मानी जा रही है। बता दें कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 25 जनवरी को यूएस के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। वहीं लास वेगस में ट्रंप इंटरनेशनल होटल के ठीक बाहर टेस्ला के एक साइबरट्रक में हुए ब्लास्ट में ड्राइवर की मौत हो गई। ये हमला ट्रंप के खिळाफ ही माना जा रहा है। एफबीआई इसकी संभावित आतंकी घटना मानकर जांच कर रही है।
अब सवाल ये है कि न्यू ऑर्लियन्स में ट्रक अटैक, लास वेगास में ट्रंप होटल के पास बम विस्फोट और न्यूयॉर्क में मास शूटिंग हमले के बीच क्या संबंध है। क्या तीनों घटना के तार एक-दूसरे से जुड़े हैं? क्या इन तीनों हमलों के पीछे आईएएसआईएस ही है या फिर एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) ? फिलहाल एफबीआई (FBI) तीनों मामले की जांच में जुट गई है। एफबीआई का कहना है कि पहली नजर में ये आतंकी हमला प्रतित हो रहा है। हालांकि इसके दूसरे पहलू भी हो सकता है। हम सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच को आगे बढा रहे हैं।
जानते हैं कि न्यू ओर्लियंस में क्या हुआ
अमेरिका में नए साल के मौके पर न्यू ओर्लियंस में कैनाल एवं बॉर्बन स्ट्रीट मार्ग पर बुधवार तड़के अचानक चीख-पुकार मची. करीब तड़के 3.15 मिनट पर एक शख्स ने भीड़ में ट्रक को घुसा दिया। लोग बचाओ-बचाओ चिल्लाते-चिल्लाते भागने लगे। जिधर लोग ज्यादा भागे, शख्स ने उधर ही ट्रक दौड़ाई और सबको रौंद दिया। इसमें 15 लोगों की मौत हो गई और 30 से अधिक घायल हो गए। जब तक पुलिस कुछ समझ पाती, लाशें बिछ गई थीं। इसके बाद पुलिस ने हमलावर को पकड़ने की कोशिश की तो उसने हथियार से गोलीबारी शुरू कर दी। हालांकि, बाद में पुलिस ने हमलावर को मार गिराया।
कौन था हमलावर और कैसे दिया वारदात को अंजाम
हमलावर की पहचान शम्सुद्दीन जब्बार के रूप में हुई है. वह अमेरिकी नागरिक है और टेक्सास में रहता था। वह अमेरिकी सेना का पूर्व जवान रह चुका है. उसकी उम्र 42 साल थी. उसने जिस ट्रक से भीड़ को रौंदा, उसमें आईएसआईएस के झंडे लगे थे। ट्रक से पुलिस को हथियार और विस्फोटक डिवाइस मिले हैं। एफबीआई इसे आतंकी घटना मान रही है क्योंकि हमलावर की गाड़ी से आईएसआईएस‘इस्लामिक स्टेट समूह’ का झंडा मिला है। साथ ही, पुलिस को मुठभेड़ के बाद एक हैंडगन और एक एआर-शैली की राइफल मिली है।
LGBTQ पार्टियों के लिए जाना जाता है बॉर्बन स्ट्रीट
आपको बता दें कि अमेरिका के न्यू ऑर्लिन्स (New Orleans) का बॉर्बन स्ट्रीट (Bourbon Street) LGBTQ पार्टियों के लिए जाना जाता है। इस इलाके को समलैंगिक समुदाय का दिल कहा जाता है। अमेरिका में ट्रांसजेंडरों समेत एलजीबीटीक्यू को हक दिलाने के लिए यहां कई आंदोलन और प्रदर्शन हो चुके हैं। बुधवार को नए साल का जश्न मनाने के लिए यहां LGBTQ समुदाय के कई लोग पहुंचे थे।
LGBTQ को मान्यता देने का विरोध करते रहे हैं ट्रंप
बता दें कि अमेरिका के इलेक्ट प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप लगातार और बेहद आक्रामकता से LGBTQ राइट्स के खिलाफ रहे हैं. डोनाल्ड ट्रंप वाइट हाउस आने के साथ ही जो नए काम करने वाले हैं, उनमें से एक है ट्रांसजेंडरों पर लगाम कसना। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने इसे पागलपन बताते हुए कहा कि वे इसे रोकने के लिए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर साइन करेंगे। साथ ही पुरुषों और महिलाओं पर एक-दूसरे का असर न हो, इसके लिए वे पुरुषों को महिलाओं के खेल से बाहर रखने की बात कही थी।
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2015 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडरों की शादी को वैध करार का फैसला सुनाया था। साथ ही ट्रांस कपल के लिए बच्चों को गोद लेने की भी मंजूरी दी थी। गोद देने वाली एजेंसियां इसके लिए होम स्टडी करती हैं कि बच्चों के लिए कैसा माहौल है, इसके बाद वे कानूनी प्रोसेस करती हैं।
अब जानते हैं ट्रंप होटल के सामने क्या हुआ?
डोनाल्ड ट्रंप के लास वेगास स्थित होटल के बाहर बुधवार को‘टेस्ला साइबरट्रक’ में विस्फोट हुआ। इसमें सवार एक संदिग्ध व्यक्ति की मौत हो गई। इस घटना की भी टेरर एंगल से जांच हो रही है। टेस्ला साइबरट्रक’ में मोर्टार और ईंधन के कनस्तर रखे हुए थे। अधिकारियों की मानें तो इस ट्रक में मौजूद एक शख्स की मौत हुई है और बाहर सात लोग घायल हुए हैं। अभी तक इस घटना में शामिल लोगों की पहचान नहीं हो पाई है। हालांकि, एफबीआई टेरर एंगल से इसकी भी जांच में जुट गया है।
एलन मस्क ने दिया बयान
इस घटना के बाद मस्क ने सिलसिलेवार ढंग से कई पोस्ट की। इनमें से एक पोस्ट में उन्होंने का कि लास वेगस की ये घटना आतंकी लग रही है। साइबरट्रक ब्लास्ट और न्यू ऑर्लियन्स की इन दोनों घटनाओं में ट्रक को टुरो से किराए पर लिया गया था। शायद इन दोनों घटनाओं का कोई कनेक्शन हो।
उन्होंने कहा कि हमारे पास इसकी पुख्ता जानकारी है कि ये आतंकी घटना है। न्यू ऑर्लिन्स के हमले में इस्तेमाल पिकअप ट्रक भी टुरो से किराए पर लिया गया था और लास वेगस की घटना में भी इस्तेमाल साइबरट्रक टुरो से ही किराए पर लिया गया है। लेकिन इन बेवकूफ दुश्मनों ने आतंकी हमले के लिए गलत वाहन का चुनाव किया है। साइबर ट्रक में विस्फोट फिट किया गया हुआ और उसमें विस्फोट किया गया।
क्या तीनों घटनाओं के बीच कोई कनेक्शन है
अब सवाल है कि क्या इन तीनों घटनाओं के तार एक-दूसरे से जुड़ते हैं? तो इसका सीधा सवाल देना मुश्किल है। मगर जो नई डिटेल सामने आई हैं, उससे साफ है कि इसमें कोई न कोई कनेक्शन तो जरूर है। न्यू ओर्लियंस ट्रक हमला हो या फिर ट्रंप होटल के बाहर विस्फोट, दोनों में किराए पर ही गाड़ी ली गई थी। ‘टुरो’ एक कंपनी है जो आनलाइन ऐप के माध्यम से वाहन मुहैया कराती है। दोनों ही घटना में टुरो के किराए के ट्रक का ही इस्तेमाल हुआ था। वहीं न्यूयॉर्क के क्वीन्स शहर के अमाचूरी नाइट क्लब में मास शूटिंग किया गया। ये तीनों घटनाएं ट्रंप के शपथग्रहण से 24 दिन पहले हुआ है। ISIS हो या फिर LGBTQ+ट्रंप से इन दोनों को पुराना 36 का आंकड़ा रहा है। ऐेसे में कुछ भी संभावना से इंकार नहीं किय़ा जा सकता है। एफबीआई मामले की जांच कर रही है। अब जांच का निष्कर्ष ही बताएगा कि इन तीनों हमले के पीछे कौन है?
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