US Will Impose 500% Tariff On India: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) टैरिफ पर एक बार फिर से भारत को बड़ा झटका देने की तैयारी में जुट गए हैं। ट्रंप अपने फेवरेट दोस्तों में से एक भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी के पीठ में खंजर घोंपते हुए भारत पर 500% टैरिफ लगा सकते हैं। इसके लिए डोनाल्ड ट्रंप सीनेट में नया बिल लाने की तयारी में जुट गए हैं। अमेरिका के अनुसार ये टैरिफ उन देशों पर लगाया जाएगा जो रूस के साथ अभी भी व्यापार जारी रखे हुए हैं और उससे तेल खरीद रहे हैं। रिपब्लिकन सीनेटर लिंडेस ग्राहम ने ये जानकारी दी है।

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माना जा रहा है कि इस विधेयक को अगस्त में पेश किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो इसे रूस को आर्थिक रूप से अलग-थलग करने के अमेरिकी प्रयास में बड़ा स्टेप माना जाएगा। वहीं ट्रंप का यह बिल भारत, चीन के लिए बड़े आर्थिक झटके की तरह होगा। इस अमेरिकी कदम से भारत के लिए फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल और आईटी सेवाओं जैसे निर्यात पर टैरिफ का भी जोखिम बढेगा।

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बता दें कि यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद रूस से सस्ता कच्चा तेल मंगाकर भारत ने अरबों डॉलर बचाए हैं। हालांकि दूसरों के मसले में टांग अड़ाने वाले अमेरिका को भारत का सुख देखा नहीं जा रहा है। अमेरिका यूक्रेन वॉर का नाम लेकर चाहता है कि भारत रूस से सस्ता कच्चा तेल न खरीदे। बकायदा इसके लिए अमेरिका एक बिल लाने जा रहा है। इसके तहत ऐसा करने पर अमेरिका भारत पर 500 फीसदी टैरिफ लगा सकेगा।

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रिपब्लिकन सीनेटर लिंडेस ग्राहम ने कहा, “यदि आप रूस से प्रोडक्ट खरीद रहे हैं, और आप यूक्रेन की मदद नहीं कर रहे हैं, तो आपके द्वारा अमेरिका में आने वाले उत्पादों पर 500% टैरिफ लगेगा। भारत और चीन पुतिन के तेल का 70% खरीदते हैं। वे रूस के वॉर सिस्टम को चालू रखते हैं।

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मार्च में ही आना था बिल

मार्च मेंग्राहम ने एबीसी न्यूज को बताया कि जब वो कल ट्रंप के साथ गोल्फ खेल रहे थे तो उन्होंने इस बिल को हरी झंडी दे दी। लिंडसे ग्राहम ने कहा, “कल पहली बार उन्होंने कहा- अब आपके बिल को आगे बढ़ाने का समय आ गया है, तब मैं उनके साथ गोल्फ़ खेल रहा था। मूल रूप से इस बिल को मार्च में ही प्रस्तावित किया गया था। यानी कि इस बिल को तब ही आना था, लेकिन व्हाइट हाउस द्वारा विरोध के संकेत दिए जाने के बाद ये बिल अटक गया।

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भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के बीच बिल की चर्चा

अमेरिका द्वारा इस बिल की चर्चा तब हो रही है जब भारत-अमेरिका व्यापार समझौता (Indo-US Trade deal) होने जा रहा है। अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने मंगलवार को कहा कि व्यापार समझौता “बहुत करीब” है। जबकि भारतीय प्रतिनिधिमंडल वाशिंगटन में अमेरिकी अधिकारियों के साथ लगातार चर्चा कर रहे हैं।  इंडिया टुडे को सूत्रों ने बताया कि दोनों देशों के बीच कृषि संबंधी प्रमुख मांगों को लेकर ट्रेड डील वार्ता में गतिरोध आ गया था। ग्राहम और डेमोक्रेटिक सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल द्वारा सह-प्रायोजित प्रस्तावित विधेयक को कथित तौर पर 84 दूसरे सीनेटर भी सपोर्ट कर रहे हैं।

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भारत के उत्पादों के दाम बेतहाशा बढ़ जाएंगे

अगर यह विधेयक कानून बन जाता है, तो इससे चीन और भारत दोनों के साथ अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों में व्यापक बदलाव आ सकता है। चूंकि अमेरिका भारत का मुख्य निर्यात बाजार है, इसलिए यह नीति बड़े पैमाने पर कूटनीतिक तनावों को भी जन्म दे सकती है। साथ ही भारी-भरकम टैरिफ लगाने से अमेरिकी बाजार में जाने वाले भारत के उत्पादों के दाम बेतहाशा बढ़ जाएंगे। इससे वहां भारतीय प्रोडक्ट की बिक्री कम हो सकती है. इस कदम का फर्मास्यूटिक्ल और ऑटोमोबिल इंडस्ट्री पर व्यापक असर पड़ सकता है।

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भारत ने रूस से तीन साल में आयात किया 49 बिलियन यूरो का कच्चा तेल

बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण रूस ने भारत को रियायती दरों पर कच्चा तेल बेचा। रूस से कच्चे तेल के आयात ने भारत को आर्थिक, रणनीतिक और एनर्जी सिक्योरिटी के लिहाज से कई लाभ पहुंचाए हैं। यूक्रेन पर आक्रमण के तीसरे वर्ष में भारत ने 49 बिलियन यूरो का कच्चा तेल आयात किया है। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से 24 फरवरी 2022 से 2 मार्च 2025 तक भारत ने रूस से लगभग 112.5 अरब यूरो (लगभग 118 अरब डॉलर, 1 यूरो = 1.05 डॉलर के हिसाब से) मूल्य का कच्चा तेल आयात किया है। यह जानकारी सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की एक रिपोर्ट के आधार पर है। रूस से कच्चे तेल की हिस्सेदारी युद्ध से पहले 1% से भी कम थी जो 2023-24 में बढ़कर 35-45% हो गई। CREA और अन्य स्रोतों के अनुसार भारत ने 2022-2025 के बीच रूसी तेल आयात पर 10.5 से 25 अरब डॉलर तक की बचत की।

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