नई दिल्ली . कोयला आधारित बिजली संयंत्रों (थर्मल पॉवर प्लांट) को पांच से दस फीसदी तक पराली ईंधन का उपयोग करना होगा. केन्द्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं. पराली के धुएं से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए यह कदम उठाया जा रहा है.
पंजाब और हरियाणा में धान के अवशेष खेत में ही जलाने के मामले हर साल सामने आते हैं. ऐसे में धुआं दिल्ली-एनसीआर समेत एक बड़े हिस्से में छा जाता है और हवा प्रदूषित हो जाती है. खासतौर पर अक्तूबर और नवंबर में लोगों को यह परेशानी झेलनी पड़ती है. पराली को जलाने से रोकने के क्रम में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिल्ली के 300 किलोमीटर के दायरे में मौजूद थर्मल बिजली संयंत्रों को पांच से दस फीसदी तक पराली ईंधन का प्रयोग करने को कहा है. इस दायरे में 11 बिजली संयंत्र हैं, जो कोयला आधारित हैं. खासतौर पर हरियाणा के तीन और पंजाब के चार बिजली संयंत्र ऐसे हैं, जहां पर पराली ईंधन के प्रयोग किए जाने की ज्यादा जरूरत है.