रायपुर। सरकार ने यूरिया गोल्ड को लॉन्च किया. इसके साथ ही फर्टिलाइजर के क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत हो गई. केंद्र सरकार का मानना है कि यूरिया गोल्ड के इस्तेमाल से खरीफ और रबी के साथ- साथ सभी फसलों की पैदावार बढ़ जाएगी. इससे किसानों की इनकम में बढ़ोतरी होगी, जिससे वे आत्मनिर्भर बनेंगे.पूसा के कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि देश की भूमि में 42 फीसदी सल्फर की कमी है, जिसके चलते इस प्रकार के यूरिया खाद को विकसित करने की जरूरत पड़ी। इस यूरिया में नाइट्रोजन की एफिशिएंसी 48 फीसदी तक है और यह जमीन में सल्फर की कमी को भी पूरी करेगी।

आखिर यूरिया गोल्ड है क्या ?

यूरिया गोल्ड को सल्फर यूरिया के नाम से भी जाना जाता है. यह यूरिया की एक नई किस्म है. यह कम सल्फर वाली मिट्टी के लिए वरदान से कम नहीं है. यानि कि इसका इस्तेमाल करने से मिट्टी में सल्फर की कमी दूर हो जाएगी. जिससे कम उपजाऊ जमीन पर भी आप खेती कर सकेंगे. साथ ही इसके इस्तेमाल से पैदावार भी बढ़ जाएगी. खास बात यह है कि यूरिया राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर लिमिटेड यूरिया गोल्ड का प्रोडक्शन कर रहा है. सल्फर कोटेड यूरिया या यूरिया गोल्ड को मिट्टी में उर्वरकता की कमी को दूर करने और खेती में किसानों की लगने वाली इनपुट लागत को कम करने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया है। आर्थिक दृष्टि और गुणवत्ता के हिसाब से सल्फर कोटेड यूरिया मौजूदा नीम कोटेड यूरिया फर्टिलाइजर से कही ज्यादा अच्छी है।
15 किलो यूरिया गोल्ड 20 किलो पारंपरिक यूरिया के बराबर है.

यूरिया गोल्ड नाइट्रोजन धीरे-धीरे रिलीज करता है. अगर आप यूरिया गोल्ड में ह्यूमिक एसिड मिला देंगे, तो इसकी उम्र बढ़ जाती है. यानि कि आप इसे खाद के रूप में काफी समय तक इस्तेमाल कर सकते हैं. ऐसे सामान्य खादों का जीवनकाल कुछ ही महीनों का होता है. ज्यादा पुराना होने पर उनकी उर्वरक शक्ति कमजोर हो जाती है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 किलो यूरिया गोल्ड 20 किलो पारंपरिक यूरिया के बराबर होता है. इससे किसानों को खाद के ऊपर होने वाले खर्च से राहत मिलेगी. साथ ही रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि यूरिया गोल्ड यूरिया के डायवर्जन को भी रोकेगा.