देहरादून। CS राधा रतूड़ी ने आज सचिवालय में दुर्गम और दूरस्थ क्षेत्रों में विकास, सीमांत क्षेत्रों में रिमाइग्रेशन को बढ़ावा देने और पलायन को रोकने लिए बैठक ली. इसके अलावा सैनिकों को गुणवत्तापूर्ण खाद्य सामग्री सुनिश्चित करवाने के संबंध में चर्चा की गई. इस दौरान मुख्य सचिव ने सभी औपचारिकताएं पूरी करते हुए एमओयू को जल्द संपन्न करवाने के निर्देश अधिकारियों को दिए.

बैठक में बताया गया कि सभी आईटीबीपी पोस्ट पर सीमांत जिलों चंपावत, चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ के गांवों के 4000 से अधिक स्थानीय किसानों/पशुपालकों के माध्यम से मांस के लिए भेंड़, बकरियां, पाॅलट्री और ट्राउट मछली की आपूर्ति के संबंध में आईटीबीपी और उत्तराखंड कोऑपरेटिव फेडरेशन के मध्य एमओयू की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं.

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इस एमओयू को वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के लिए प्रभावी पहल बताते हुए सीएस रतूड़ी ने कहा कि इससे सीमांत क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा. साथ ही पशुओं की स्थानीय ब्रीड और पशुधन को बढ़ावा, सीमांत आबादी के लिए रोजगार के अवसरों को गति और वोकल फाॅर लोकल को भी प्रोत्साहन मिलेगा.

मुख्य सचिव ने कहा कि आईटीबीपी और उत्तराखंड सरकार की इस पहल से राज्य में पशुधन की योजनाएं धरातल स्तर पर पहुंचेंगी. बैठक में आईटीबीपी ने राज्य के सीमांत क्षेत्रों में अपने पशु चिकित्सकों की सेवाएं प्रदान करने का प्रस्ताव रखा. जिस पर सहमति देते हुए मुख्य सचिव ने सीएसआर फंड के तहत पशुओं के लिए मेडिकल मोबाइल वैन की व्यवस्था के निर्देश दिए हैं.

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आईटीबीपी द्वारा प्रस्तावित पर्यटन क्षेत्र में स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के संबंध में मुख्य सचिव ने इस विषय पर पर्यटन विभाग के साथ बैठक करने के निर्देश दिए हैं. मुख्य सचिव ने कहा कि आईटीबीपी और उत्तराखंड कोऑपरेटिव फेडरेशन के मध्य इस एमओयू से अन्य समकक्ष सैन्य संस्थाओं जैसे एसएसबी, सेना आदि के साथ भी इस क्षेत्र में कार्य करने के मार्ग खुलेंगे.

एमओयू को क्रियान्वित करने के लिए मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने उत्तराखंड कोऑपरेटिव फेडरेशन को रिवाॅल्विंग फंड, मार्केटिंग फंड और प्रशासनिक व्ययों पर चर्चा करते हुए इसे भविष्य में सस्टेनेबल मोड पर संचालित करने के भी निर्देश दिए हैं.