देहरादून. उत्तराखंड में एक बार फिर मानसून दस्तक दे रहा है. पहाड़ की स्थिरता के लिए ठोस अभी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. इसी कड़ी में जोशीमठ में हुए भूस्खलन से हर कोई वाकिफ है. अभी तक वहां की दरारें भरी नहीं है. ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त नहीं करने की वजह से बारिश का पानी पहाड़ के भीतर आ रहा है. जिससे खतरा बढ़ता जा रहा है. इसको लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है.

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जानकारी के अनुसार, चमोली जिले के आपदा प्रभावित जोशीमठ बारिश की वजह से एक बार फिर धसना शुरू हो गई है. जिसकी वजह वहां 800 से अधिक जर्जर भवन पहाड़ पर भार बने हुए है. लेकिन अभी तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. वैज्ञानिकों ने अपने रिपोर्ट में कहा था कि जोशीमठ के कामों को जल्द से जल्द शुरू करें. ताकि बरसात में कोई बड़ी दुर्घटना ना हो. इसको लेकर विपक्ष लागातर सरकार पर हमलवार भी है. फिर भी धामी सरकार ने इस पर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाई है.

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इस मामले को लेकर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट का कहना है कि जोशीमठ के दर्द को यह सरकार समझने का नाम ही नहीं ले रही है. लगातार जो दावे जोशीमठ को लेकर सरकार द्वारा किए गए वह धरातल पर उतरे ही नहीं है. मकानों में जब दरारे आई उस लेकर भी अभी तक कुछ नहीं किया गया है.

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इसको लेकर सरकार ने कहना था कि हम जोशी का पुनर्वास करेंगे. लोगों को हुए नुकसान का मुआवजा देंगे. लेकिन आज तक इसका पता नही है. धामी सरकार ने कहा था कि जिनका नुकसान हुआ है उनका पुनर्वास किया जाएगा. लेकिन सरकार की तरफ से केवल बयानबाजी किया जा रहा है. लेकिन अभी तक इस पर कोई काम नहीं हुआ है.

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