रुद्रप्रयाग. पंचकेदारों में प्रतिष्ठित द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर मंदिर के कपाट आज बुधवार प्रातः शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं. इस अवसर पर मंदिर को सजाया गया था. कपाट बंद होने के बाद भगवान श्री मद्महेश्वर जी की उत्सव डोली और देव निशानों ने स्थानीय वाद्य यंत्रों ढोल-दमाऊ सहित बाबा मद्महेश्वर के जयघोष के साथ प्रथम पड़ाव गौंडार के लिए प्रस्थान किया. इस अवसर पर 250 से अधिक श्रद्धालु मौजूद रहे.
मद्महेश्वर मंदिर के कपाट बंद होने के अवसर पर अपने संदेश में बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी. बीकेटीसी उपाध्यक्ष किशोर पंवार ने मंदिर के कपाट बंद होने के अवसर पर प्रसन्नता जताई है. बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने बताया कि 18 हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने भगवान के दर्शन किए हैं. कपाट बंद होने से एक दिन पहले मंदिर में यज्ञ-हवन किया गया. आज 20 नवंबर प्रात: साढ़े चार बजे मंदिर खुल गया था.
प्रात: कालीन पूजा के बाद श्रद्धालुओं ने भगवान मद्महेश्वर के दर्शन किए. उसके बाद मंदिर के गर्भगृह में कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू हुई. भगवान के स्वयंभू शिवलिंग को श्रृंगार रूप से समाधि स्वरूप में ले जाया गया. शिवलिंग को स्थानीय पुष्पों, फल और अक्षत से ढक दिया गया. इसके बाद पुजारी ने शुभ मुहूर्त में मंदिर के कपाट बंद किए. हक-हकूकधारियों ने भगवान की चल विग्रह डोली के साथ प्रथम पड़ाव गौंडार को प्रस्थान किया.
बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि आज 20 नवंबर को कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली रात्रि विश्राम के लिए गौंडार पहुंचेंगी. 21 नवंबर को राकेश्वरी मंदिर में प्रवास और 22 नवंबर को गिरिया प्रवास करेगी. 23 नवंबर को गिरिया से चलकर भगवान की चल विग्रह डोली अपने देव निशानों के साथ शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ में विराजमान हो जाएगी.
इसी के साथ श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में भगवान मद्महेश्वर जी की शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जाएंगी. उल्लेखनीय है कि 23 नवंबर को ही मुख्य रूप से मद्महेश्वर मेला भी आयोजित होता है. बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन भगवान के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. मद्महेश्वर मेले के लिए श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ को फूलों से सजाया जा रहा है.
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