देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को उत्तराखंड दौरे पर आ रहे हैं। जिसको लेकर प्रदेश की सियासत गर्म हो गई है। एक ओर सीएम धामी खुद पीएम के दौरे की तैयारियों का जायजा ले रहे है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व सीएम हरीश ने पीएम के दौरे को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कल देश के प्रधानमंत्री, उत्तराखंड के अति आपदाग्रस्त क्षेत्रों के दौरे पर आ रहे हैं। यूं तो लक्सर, खानपुर, नारसन से लेकर टनकपुर, बनबसा, धराली, थराली, कपकोट, पाबो, थलीसैंण, समस्त उत्तराखंड आपदा की चपेट में है।

सरकार ने क्षति का मूल्यांकन 5,500 करोड़ किया

हरीश रावत ने कहा कि राज्य सरकार ने भी इस क्षति का मूल्यांकन लगभग 5,500 करोड़ रुपये किया है और उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने यह क्षति का आकलन 20,000 करोड़ रुपये का किया है। लोगों के जीवन क्रम और आजीविका पर इस आपदा का गहरा प्रभाव पड़ा है। मैं, प्रधानमंत्री के इस दौरे को राहत राशि की मात्रा के आलोक में देखने के बजाय इस परिपेक्ष में देखना चाहूंगा कि प्रधानमंत्री हिमालय, विशेष तौर पर मध्य हिमालय के लिए नई राष्ट्रीय सोच व नीति बनाने की आवश्यकता को किस तरीके से निरूपित करते हैं? हिमालय की शान में जितना कुछ कहा जाए वह कम हैं और यह भी यथार्थ है कि उत्तरी भारत के पूरे जनजीवन पर इस मध्य हिमालय और विशेष तौर पर उत्तराखंड के हिस्से के हिमालय का गहरा प्रभाव पड़ता है।

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प्रमुख नदियों का उद्गम उत्तराखंड

हरीश रावत ने आगे कहा कि उत्तरी भारत के आधी से अधिक प्रमुख नदियों का उद्गम उत्तराखंड से ही होता है। यहां की छोटी-मोटी सभी जलधाराएं मिलकर गंगा, यमुना, शारदा से देश का साक्षात्कार कराती हैं। दिल्ली सहित उत्तरी भारत के एक बड़े हिस्से को हम आक्सीजन उपलब्ध कराते हैं। जलवायु परिवर्तन एक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वास्तविकता है और इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव वर्तमान समय में मध्य हिमालय पर पड़ रहा है। हमें वर्तमान आपदा के आलोक में केवल पुनर्निर्माण व पुनर्वास तक सीमित न किया जाए बल्कि जलवायु परिवर्तन का हमारी आजीविका क्रम, स्वास्थ्य, शिक्षा व परिवेशी जीवन पर व्यापक रूप से पड़ रहे दुष्प्रभाव के आलोक में समझा जाए।

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एक दिखाई देने वाली क्षति है जो कुछ क्षेत्र विशेष तक सीमित है और बड़ी क्षति विस्तृत अंचल तक फैली हुई है, उसको मात्राकृत करना कठिन है। मैं समझता हूं कि प्रधानमंत्री, हिमालय व हिमालय के व्यापक हित को लेकर मुझसे ज्यादा गंभीर हैं और जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए राष्ट्रीय नीति तैयार कर रहे होंगे।