देहरादून। शासन के आदेश पर चिकित्सा परिषद उत्तराखंड 500 से ज्यादा आयुष चिकित्सकों के लाइसेंस रद्द करने जा रही है. ये वो आयुष चिकित्सक हैं जो प्रैक्टिस कर रहे हैं. उनके पंजीकरण वैध नहीं हैं. पंजीकृत चिकित्सकों के पास BAMS या BUMS के बजाए अन्य राज्यों के डिप्लोमा है.
जानें क्या है मामला
बता दें कि उत्तराखंड गठन के बाद यूपी के उन सभी आयुष चिकित्सकों को भी राज्य की परिषद ने पंजीकृत कर लिया था. जो यूपी में पंजीकृत थे. इस नियम का गलत तरीके से हवाला देते हुए राज्य में साल 2019 में उत्तरांचल (संयुक्त प्रांत भारतीय चिकित्सा अधिनियम 1939) अनुकूलन और उपांतरण आदेश नए डिप्लोमाधारकों को भी भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड ने पंजीकरण देना शुरू कर दिया.
संस्थान ही वैध नहीं
साल 2019 से मार्च 2022 तक 500 से अधिक आयुष या यूनानी डिप्लोमाधारकों को परिषद में पंजीकृत किया गया. जो वर्तमान में अलग-अलग जगहों पर प्रैक्टिस कर रहे हैं. उत्तराखंड के इस आदेश को CCIM के पत्र और लगातार आ रही शिकायतों के आधार पर शासन ने तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है. इस मामले में कुछ माह पहले CCIM ने बताया कि जिन यूपी और अन्य राज्यों के आयुष संस्थानों से ये डिप्लोमा दिए गए हैं. इस मामले में कुछ माह पहले CCIM ने बताया कि जिन यूपी और अन्य राज्यों के आयुष संस्थानों से ये डिप्लोमा दिए गए हैं. वह संस्थान ही वैध नहीं हैं.
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अपर सचिव आयुष ने दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट में भी इस संबंध में एक याचिका दायर हुई थी. जिसमें CCIM ने स्पष्ट कर दिया था कि उत्तराखंड का यह नियम, केंद्रीय नियमों के विपरीत हैं. इस आधार पर अपर सचिव आयुष डॉ. विजय कुमार जोगदंडे ने रजिस्ट्रार भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड को सभी पंजीकरण रद्द करने के आदेश दिए हैं।
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