देहरादून। उत्तराखंड के स्कूलों में गीता के श्लोक पढ़ाने का शिक्षकों ने जमकक विरोध किया है। SC-ST शिक्षक एसोसिएशन ने इस संबंधं में निदेशक को पत्र लिखा है। उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि संविधान के मुताबिक शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा प्रदान नहीं की जा सकती है।

शिक्षकों ने निदेशक को लिखा पत्र

शिक्षक एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 28(1) में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि पूर्णतः या आंशिक रूप से सरकारी निधि से संचालित शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा प्रदान नहीं की जा सकती। उन्होंने आगे कहा कि देश की धर्मनिरपेक्षता और सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान की भावना को बनाए रखने के लिए यह व्यवस्था की गई है।

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इससे पहले राज्य के पूर्व सीएम हरीश रावत ने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि धर्मग्रंथों की अच्छी प्रेरक बातों को पाठ्यक्रमों में डालने में कोई हर्ज नहीं है। लेकिन ये एकतरफा नहीं होनी चाहिए। दूसरे ग्रंथों में अच्छी बातें हैं, उनका भी समावेश किया जाना चाहिए। काम अगर भगवाकरण के एजेंडे को आगे बढ़ाने के दृष्टिकोण से किए जा रहे हैं तो इसका दुष्प्रभाव हमारी शिक्षा प्रणाली पर पड़ेगा।