उत्तराखंड क़े उत्तरकाशी क़े स्वतंत्र पत्रकार राजीव प्रताप की मौत की मिस्ट्री हर दिन उलझ रही है. उनका शव दुर्घटना स्थल से लगभग 5 किलोमीटर दूर जोशियाडा बैराज के पास बरामद हुआ. लेकिन शव की स्थिति ने कई अनसुलझे सवाल खड़े कर दिए हैं.

सबसे बड़ा सवाल

जिस नदी में उनका शव मिला, वहां तेज़ बहाव और बड़े-बड़े पत्थर मौजूद हैं. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति बहकर इतनी दूरी तय करता है, तो शरीर पर गंभीर चोटों के निशान होना स्वाभाविक है. लेकिन आश्चर्यजनक रूप से राजीव प्रताप के शरीर पर ऐसी चोटें नहीं पाई गईं.

घटना स्थल पर उनके कपड़े अलग-अलग जगहों पर बिखरे मिले. पैंट बेल्ट से बंधी होने के बावजूद खुली हुई थी, लेकिन सवाल यह भी है कि जब पूरा शरीर नग्न अवस्था में था, तो केवल उनका अंडरवियर सही सलामत क्यों था? क्या किसी ने पहले उन्हें कपड़े उतरवाए और फिर घटना को हादसे की शक्ल दी? या यह सब पानी के तेज़ बहाव का नतीजा हो सकता है?

परिवार के मन में उठ रहे सवाल

ग्रामीण और स्थानीय लोग इस घटना को साधारण डूबने की मौत मानने को तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि अगर राजीव प्रताप नदी में बहे, तो कम से कम सिर, हाथ-पैर या शरीर पर चोटों के स्पष्ट निशान ज़रूर होते. इसके अलावा कपड़े उतरना और केवल अंडरवियर का बचना भी पूरे घटनाक्रम को संदेहास्पद बना रहा है.

पुलिस जांच की मांग

स्थानीय पत्रकार और समाजसेवी संगठन अब इस मामले की गहन जांच की मांग कर रहे हैं. वे चाहते हैं कि यह पता लगाया जाए- राजीव प्रताप की मौत हादसा थी या किसी साज़िश का हिस्सा? कपड़े उतरने और शरीर पर चोट न होने की असली वजह क्या है? क्या यह मामला हत्या को आत्महत्या/हादसा दिखाने की कोशिश तो नहीं?

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