देहरादून. गंगा नदी उद्गम स्थल से ही प्रदूषित हो रही है, जिसे लेकर NGT (National green tribunal) ने नाराजगी जताई है और CS (Chief Secretary) राधा रतूड़ी को जांच के निर्देश दिए हैं. वैसे तो इस पर प्रदूषण नियंत्रण से जुड़ी संस्था ने इस मामले को लेकर अपना पक्ष रख चुकी है. जिससे एमजीटी नाखुश है और अधिकारियों को इस मामले में जवाब देने होंगे.
बता दें कि सरकार गंगा और उसकी सहायक नदियों की स्वच्छ रखने लिए महत्वाकांक्षी योजना चला रही है. बावजूद इसके उद्गम स्थल से ही गंगा साफ नहीं हो पा रही है. जो कि चिंता विषय है. एमटीजी ने गंगा के उद्गम स्थल गंगोत्री में सीवर जनित फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा मानक से अधिक मिलने पर भी नाराजगी जताई.
इसे लेकर भी एनजीटी ने मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को मौजूदा स्थिति को लेकर जांच करने के निर्देश दिए हैं. जानकारी के मुताबिक, गंगोत्री में एक मिलियन लीटर प्रतिदिन क्षमता वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में फीकल कोलीफार्म तय मानक से अधिक पाया गया. ये मात्रा नमूनों में 540/100 मिलीलीटर MPN पाई गई.
एनजीटी की सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि राज्य में 53 में से 50 STP काम कर रहे हैं. जबकि राज्य में 63 नालों को टैप ही नहीं किया गया है. इसके चलते गंदा पानी नदियों में जा रहा है. मामले में एनजीटी ने अगली तारीख 13 फरवरी दी है.
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