उत्तराकाशी. यू तो सरकार विकास कार्यों को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बया करती है. उत्तराकाशी से विकास की एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसके बाद शासन-प्रशासन पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं. दरअसल, ग्रामीण रस्सी और ट्राले की सहारे नदी पार कर रहे हैं. अगर किसी दिन हादसा हो जाता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? क्या मौत के बाद जिम्मेदारों की नींद खुलेगी?
बता दें कि यह मामला मोरी विकासखंड के साल्ला गांव का है. विकासखंड मुख्यालय से महज 4 किमी की दूरी यह गांव बसा हुआ है. जहां करीब चालीस परिवार रहते हैं. पुल और सड़क नहीं होने से ग्रामीणों को ट्राली से टौंस नदी पार करनी पड़ती है. जान हथेली पर रखकर वे नदी को पार करने को मजबूर हैं.
इसे भी पढ़ें- LOVE, SEX और… दुल्हन के जोड़े में युवती करती रही दूल्हे का इंतजार, फिर हुआ कुछ ऐसा कि दुल्हन पहुंच गई थाने
ग्रामीणों ने बताया कि अगर रस्सी खींचते हुए या ट्राली के हल्का अनियंत्रित होने पर टौंस नदी में खतरा बना रहता है. वहीं बरसात में लोग भय से ट्राली के स्थान पर करीब पांच से 6 किमी की अतिरिक्त दूरी तय कर गांव पहुंचते हैं.
इसे भी पढ़ें- चमोली में पूरा हुआ श्रमिकों का रेस्क्यू : 46 मजदूरों को बचाया, 8 की मौत
ग्राणीणों की मुताबिक, लंबे समय से पुल और सड़क निर्माण की मांग की जा रही है. लकेिन जिम्मेदार आज तक इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. सालों पहले प्रशासन की तरफ से एक ट्राली लगाई गई. वह भी अब पुरानी हो गई है. हस्तचलित होने के कारण इस पर आवाजाही में खतरा बना रहता है.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें