उत्तराकाशी. उत्तराखंड के उत्तराकाशी में स्थित गोमुख पर्वत लगातार पीछे खिसकता जा रहा है. जो कि चिंता का विषय है. पर्वत की पीछे खिसकने की वजह क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग है. साथ ही तापमान बढ़ने की वजह से भी पर्वत पीछे खिसक रहा है.

बता दें कि वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान पिछले कई सालों से हिमालय के ग्लेशियर की निगरानी कर रहा है. वैज्ञानिक ग्लेशियर में आ रहे बदलावों पर भी काम करते हैं. वैज्ञानिक की मानें तो साल 2013 में आई तबाही के बाद गोमुख पर्वत पर बहुत कुछ बदल गया है.

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. कलाचंद सैन ने बताया कि ऐसा क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग की वजह हो रहा है. साथ ही तापमान बढ़ने की वजह से भी पर्वत पीछे खिसक रहा है. उनके मुताबिक, पर्वत का मुंह 1935 में जहां था. आज वो उससे 15-20 मीटर पीछे खिसक गया है.

वैसे तो डॉ. कलाचंद सैन पर्वत के विलुप्त हो जाने की बात से इनकार करते हैं. उनका कहना है कि जिन कारणों की वजह से पर्वत पीछे खिसक रहा है और इसके पीछे खिसकने का जो रेट है. उसे देखकर ये नहीं कहा जा सकता है कि ये पर्वत विलुप्त हो जाएगा.

बता दें कि ये पर्वत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है. ये पर्वत हिंदुओं का पवित्र तीर्थस्थल है. दावा किया जाता है कि गोमुख पर्वत के ठीक पीछे वाले ग्लेशियर को भागीरथ पहाड़ कहते हैं. यहीं उन्होंने गंगा को धरती पर लाने से पहले भगवान शिव से उन्हें अपनी जटाओं में बांधने की आराधना की थी.

इस पहाड़ में तीन चोटियां दिखती हैं, जिनके नाम ब्रह्मा, विष्णु और महेश है, जहां भगवान शिव ने मां गंगा को अपनी जटाओं में बांधकर छोड़ा था. वो शिखर गोमुख से पीछे थे लेकिन आज हम बात गोमुख पर्वत की कर रहे हैं.

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