देहरादून। उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने धामी सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि जीरो करप्शन का नारा देने वाली सरकार में हरिद्वार नगर निगम ने कूड़े के ढेर के पास की सस्ती अनुपयुक्त ज़मीन बिना किसी आवश्यकता के 54 करोड़ों में ख़रीदी।

भूमि खरीद में नियमों का उल्लंघन

यशपाल आर्य ने कहा कि भूमि का लैंड यूज कृषि था। तब उसका सर्किल रेट 4 हजार रुपये के आस पास था। यदि भूमि को कृषि भूमि के तौर पर खरीदा जाता, तब उसकी कुल कीमत पंद्रह करोड़ के आस पास होती। लेकिन लैंड यूज चेंज कर खेले गए खेल के बाद भूमि की कीमत 54 करोड़ के आस पास हो गई। लगभग 35 बीघा भूमि के लैंड यूज व खरीद में तय नियमों व शर्तों का पालन नहीं किया गया। इसके बाद अधिकारियों की मिलीभगत के बाद यह जमीन ऊंचे दामों पर खरीद ली गयी।

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यशपाल आर्य ने आगे कहा कि भूमि खरीद में नगर निगम एक्ट का पालन किया जाना था। जमीन खरीद से जुड़े शासन के नियम व निर्देश भी अपनी जगह मौजूद थे। बावजूद इसके एक कॄषि योग्य भूमि का लैंड यूज परिवर्तित कर कामर्शियल कर दिया। और सिर्फ कुछ करोड़ की जमीन आधे अरब से अधिक दाम में खरीद ली गयी। जमीन खरीद के लिए कोई पारदर्शी बोली प्रक्रिया नहीं अपनाई गई, जो सरकारी खरीद नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।

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हरिद्वार नगर निगम के करोड़ों के जमीन घोटाले में सरकार ने निचले स्तर के कर्मचारी और अधिकारी पर कार्यवाही कर इतिश्री कर ली। सर्वविदित है जिन पर कार्यवाही हुई क्या वह इतनी बड़े घोटाले की रचना कर सकते थे असली मास्टरमाइंड तो आज भी हर स्तर से जाँच को प्रभावित करने में लगे है । इसलिए प्रश्न यही है की सरकार आख़िर बड़े संलिप्त अधिकारियों पर क्यो चुप्पी साधे बैठी है वित्तीय अनियमितताओं, प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार पर सरकार बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई क्यो नहीं कर पा रही ।