हरिद्वार. देवभूमि में 2027 (Kumbh 2027) में अर्ध कुंभ का आयोजन होने जा रहा है. इसे लेकर प्रदेश की धामी सरकार ने युद्ध स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी है. लेकिन इस बीच इस आयोजन को लेकर संत समाज में दो फाड़ हो गया है. जिसमें एक पक्ष इस आयोजन के समर्थन में है, तो वहीं दूसरा पक्ष इस आयोजन (अर्ध कुंभ) को पूर्ण कुंभ के रूप में मनाए जाने के विरोध में है.
दरअसल, सरकार इस अर्ध कुंभ को पूर्ण कुंभ के रूप में मनाना चाहती है. क्योंकि 2019 में हुआ कुंभ कोरोना की भेंट चढ़ गया था. जिसकी कसर सरकार इस आयोजन से पूरा करना चाहती है. ऐसे में संतों का एक पक्ष सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहा है. कुछ महामंडलेश्वरों के कहना है कि सरकार को परंपराओं का ध्यान रखना चाहिए. अर्ध कुंभ को पूर्ण कुंभ के रूप में मनाना धार्मिक मान्यताओं से छेड़छाड़ करने जैसा है. वहीं दूसरा पक्ष इस आयोजन का स्वागत कर रहा है.
इसे भी पढ़ें : शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजित हुआ भगवान मद्महेश्वर का चल विग्रह, 6 महीने यहीं होंगे द्वितीय केदार के दर्शन
शुक्रवार को हरिद्वार में साधु समाज की बैठक हुई. जिसमें आए तमाम संतों का कहना है कि जिस समय हरिद्वार में अर्ध कुंभ मेला लगेगा, उसी समय नासिक में कुंभ (पूर्ण) का आयोजन होना है. ऐसे में सरकार को सभी बातों का ध्यान रखते हुए उन परंपराओं को निर्वहन करना चाहिए तो आज तक चली आ रही हैं.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें

