गुरुग्राम . सेक्टर-109 की चिंटल पैराडाइसो सोसाइटी का एच टावर 15 दिन के अंदर खाली करना होगा. सोमवार को जिलाधीश और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष निशांत कुमार यादव ने यह आदेश जारी किया. आईआईटी दिल्ली द्वारा जारी स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट में एच टावर को लोगों के रहने के लिए असुरक्षित बताया गया है.
जिलाधीश ने टावर को खाली कराने के लिए डीटीपी (ई) को नोडल अधिकारी और ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किया है. इन आदेशों का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ आईपीसी की धारा 188 व आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 51 से 60 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इसके पहले भी डीटीपी प्रवर्तन की ओर से खाली करने के लिए तीन बार नोटिस दिए गए. अब यह आदेश जिलाधीश को जारी करना पड़ा है.
एच टावर निवासी मनोज सिंह ने जिला प्रशासन पर बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि बिल्डर द्वारा कौड़ियों के भाव में लोगों की प्रॉपर्टी हड़पने के लिए यह सब कवायद की जा रही है. जिला प्रशासन पूरी तरह से बिल्डर से मिला हुआ है. बिना वैकल्पिक आवास की व्यवस्था किए इस तरह के आदेश पारित करना न केवल कानून का उल्लंघन है. इससे जुड़ा मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं. ऐसे में फिर से एक अन्य टावर के लिए इस तरह का आदेश पारित करना गलत है. एक तरह से न्यायालय की अवमानना का मामला भी बनता है.
कीमत न मिलने पर फ्लैट खाली नहीं कर रहे
एच टावर में रहने 15 परिवार फ्लैट की सही कीमत न मिलने पर उसे खाली नहीं कर रहे हैं. लोगों ने कहा कि बिल्डर कोर्ट में जवाब देने की बजाय समय लेकर भाग रहा है. फ्लैटों की कीमत में इंटीरियर खर्च शामिल नहीं किया गया है. सामान के नुकसान की भरपाई भी नहीं की जा रही है. ऐसे में फ्लैट खाली करके दूसरे जगह जाना नुकसान उठाना है. अब प्रशासन खाली करने के लिए आदेश दिया है. यह न्यायसंगत नहीं है. बिल्डर से लोग चाहते हैं तो उनके फ्लैट तोड़कर दोबारा बनाया जाए.
पहले लोगों को रहने के लिए घर दिया जाएं
चिंटल सोसाइटी आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष राकेश हुडा ने कहा कि ऐसे लोगों से टावर खाली कराए जाते रहे तो लोगों को दूसरे घर का किराया कौन देगा. बिल्डर न तो पैसा देना चाहता है और न ही तोड़कर बनाना चाहता है. फ्लैट खाली करने के आदेश पारित कर दिए गए हैं. फ्लैट खाली कराने से पहले लोगों को रहने के लिए घर दिया जाएं.
डीटीपी प्रवर्तन गुरुग्राम मनीष यादव ने कहा, ‘जिलाधीश ने एच टावर के लोगों को खाली करने के लिए 15 दिन का समय दिया है. आदेश का पालन नहीं किया तो पुलिस के सहयोग से खाली कराया जाएगा.’
रिफंड का मामला कोर्ट में विचाराधीन
सोसाइटी के डी, ई, एफ, जी टावर पहले ही रहने के लिए असुरक्षित घोषित हो चुका है. एच टावर में अभी 15 परिवार मांगों को खाली करने को राजी नहीं है. इन पांच टावर में 288 फ्लैट रहने लायक नहीं है. 100 से ज्यादा लोग रिफंड के लिए राजी है. बिल्डर की ओर से सुप्रीम कोर्ट से चार सप्ताह से समय मांगा है कि वह लोगों के रिफंड करने के लिए बातचीत कर रहा है.