रवि साहू नारायणपुर/अजय सूर्यवंशी, जशपुर. भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ के दो विभूतियों जागेश्वर यादव और हेमचंद मांझी का चयन पद्मश्री सम्मान के लिए किया है. नारायणपुर जिले के ग्राम पंचायत छोटे डोंगर गांव तारभाठा के रहने वाले 72 वर्षीय हेमचंद मांझी को वैद्यराज मांझी के नाम से अबूझमाड़ क्षेत्र में जाना जाता है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए मांझी को भारत सरकार पद्मश्री सम्मान देने जा रही. 

लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में हेमचंद मांझी ने बताया कि वे 15 साल की उम्र से ही नाड़ी छू कर आयुर्वेद दवा देकर लोगों की सेवा कर रहे हैं. वे पारम्परिक आयुर्वेद से आदिवासियों का इलाज करते हैं. वे विभिन्न बीमारियों से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए बहुत कम राशि लेते हैं. नक्सलियों द्वारा बार-बार धमकियों और व्यक्तिगत हमलों के बावजूद उन्होंने ईमानदारी और उत्साह के साथ लोगों की सेवा करना जारी रखा.

वहीं जशपुर के आदिवासी कल्याण कार्यकर्ता जागेश्वर यादव को सामाजिक कार्य (आदिवासी पीवीटीजी) के क्षेत्र में पद्मश्री दिया जाएगा. उन्होंने बिरहोर पहाड़ी कोरवा लोगों के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. कोरोना महामारी के दौरान जागेश्वर यादव ने आदिवासियों का टीकाकरण कराया. आर्थिक तंगी के बावजूद जागेश्वर यादव ने कभी भी सेवा में कमी नहीं आने दी. अपने अथक प्रयासों से वे ‘बिरहोर के भाई’ बन गए.

जशपुर जिले के बगीचा विकासखंड के ग्राम भितघरा के रहने वाले जागेश्वर यादव को पद्यश्री मिलने पर परिवार और गांव के लोग गौरान्वित हैं. वे विशेष पिछड़ी जनजातीय बिरहोर परिवार के उत्थान के लिए 1980 से काम कर रहे हैं. बिरहोर परिवार के दर्द को समझते हुए आज भी जागेश्वर नंगे पांव चलते हैं. अपना पूरा जीवन बिरहोर परिवार के लिए समर्पित कर दिया है. जागेश्वर यादव के परिवार में एक बेटा बहु सहित 3 नाती पोता हैं.

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