कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) द्वारा आयोजित पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा-2013 में फर्जी तरीके से शामिल होकर आरक्षक बने युवक को STF की विशेष अदालत ने दो मामलों में 14 साल कारावास और 20 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। आरोपी युवक ने कूटरचित दस्तावेज तैयार कर अपने स्थान पर फर्जी स्कोरर को परीक्षा में बैठाया था।  

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जानकारी के मुताबिक युवक का नाम धर्मेंद्र शर्मा है, जो मुरैना का रहने वाला था। आरोपी धर्मेंद्र 11 साल से पुलिस आरक्षक की नौकरी कर रहा था। जांच के दौरान पता चला कि उसने साल 2013 में सॉल्वर के जरिए परीक्षा पास की थी, जिसको लेकर साल 2022 में एसटीएफ के भोपाल हेडक्वार्टर पर धर्मेंद्र के खिलाफ शिकायत की गई थी। आरोपी आरक्षक धर्मेंद्र शर्मा इंदौर के विजयनगर थाने में तैनात है। मामले की शिकायत मिलने के बाद जांच शुरू की गई तो पता चला कि युवक ने फर्जी तरीके से परीक्षा पास की थी। 

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आरोपी धर्मेन्द्र ने दो बार अप्रैल 2013 और सितम्बर 2013 में सॉल्वर बिठाकर परीक्षा दी थी। अप्रैल परीक्षा में फेल और सितम्बर परीक्षा में धर्मेंद्र पास हुआ था। परीक्षा में सॉल्वर बिठाने की डील धर्मेंद्र के ताऊ ने की थी। ताऊ की मौत हो जाने के कारण STF सॉल्वर तक नही पहुंच सकी थी। आरक्षक के फर्जीवाड़े की शिकायत दूर के रिश्तेदार ने 2022 में STF में की थी। दो साल तक चली जांच के बाद 4 महीने तक कोर्ट में मामले की सुनवाई चली। 11 साल की नौकरी करने के बाद आरोपी को 14 साल की सजा मिली है। साथ ही 20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।   

STF कोर्ट ने की विशेष टिप्पणी 

अयोग्य और बेईमान अभ्यर्थी के शासकीय सेवक बनने से दुष्परिणामों की कल्पना भी नहीं कर सकते, ऐसे अपराधों की पुर्नावृत्ति रोकने और व्यवस्था पर लोगों का विश्वास स्थापित रखने अभियुक्त को पर्याप्त दंड देना जरूरी है।  ऐसे अपराध से पूरा समाज और युवा वर्ग प्रभावित होता है। 

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