पीलीभीत. सांसद वरुण गांधी ने बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर शायराना अंदाज में तंज कसा है. उन्होंने कहा कि तेरी मुहब्बत में हो गए फना, मांगी थी नौकरी, मिला आटा-दाल और चना. सोमवार को अपने संसदीय क्षेत्र में पहुंचे सांसद ने कहा कि आज 90 प्रतिशत नौकरियां संविदा पर लग रही हैं. यानि जब चाहे रख लिया, जब चाहे फेंक दिया.

उन्होंने कहा कि एक करोड़ सरकारी नौकरियों के पद खाली हैं. इसलिए खाली हैं, क्योंकि सरकार पैसा बचाना चाहती है. सरकार का काम बिजनेस करना नहीं बल्कि जो कमजोर लोग हैं, उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करना है. उन्होंने कहा कि सरकार नई नौकरियों की बात कर रही है, लेकिन एक करोड़ पदों का क्या होगा. वास्तविकता यह है कि जो पैसे बचेंगे, वो चुनाव में आटा, दाल और चना बांटने के काम आएंगे.

वरुण गांधी ने कहा कि निजीकरण की वजह से यूपी के 18 लाख लोगों को पिछले पांच साल में नौकरी से हटाया गया है. यूपी पहले से ही बेरोजगारी की चपेट में था. अब इसमें 18 लाख लोगों का आंकड़ा और बढ़ गया है. सांसद बोले, सरकारी नौकरी पहले आम आदमी के लिए एक मात्र नौकरी थी. आसानी से मिल जाती थी. जब से निजीकरण हुआ तब से नौकरी पाना तो दूर उसके बारे में सोचना भी कठिन लगता है. यही वजह है कि भारत दो बन गए हैं. एक भारत में लोग आसानी से दौड़ रहे हैं, लेकिन दूसरे भारत का भट्ठा बैठता जा रहा है.

उन्होंने कहा कि पिछले सात वर्षों में 28 करोड़ लोगों ने सरकारी नौकरी के लिए परीक्षाएं दीं, लेकिन नौकरी मात्र सात लाख लोगों को ही मिली. प्रत्येक वर्ष 15 लाख से अधिक इंजीनियर पढ़ाई कर निकलते हैं, लेकिन नौकरी मात्र 15 फीसदी लोगों को ही मिलती है. एक गांव का किसान कर्ज लेकर अपने बेटे को पढ़ाता है, लेकिन जब उसको नौकरी नहीं मिलती है तो सोचो उसके दिल पर क्या गुजरती होगी, जबकि आज के दौर में कर्ज लेकर पढ़ाई करना आसान नहीं है.

अग्निवीर योजना पर उठाया सवाल

सांसद ने कहा कि एक अफसर या आर्मी का योद्धा बनने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ता है. अग्निवीरों से पांच साल सेवा लेने के बाद उनको निकाला जाएगा. गांव लौटने के बाद जब उनके पास गांव में कोई काम नहीं होगा तो भला वह क्या करेगा. क्या यह सेना का अपमान नहीं है.

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बता दें कि सांसद वरुण गांधी सोमवार को दो दिवसीय दौरे पर जिले में पहुंचे थे. सांसद ने पहले दिन क्षेत्र के गांव अभय भगवंतपुर, सोरहा, मझगवां, रड़ेता, रोहनिया भूड़ा आदि गांवों में जनसंवाद कार्यक्रमों को संबोधित किया. साथ ही लोगों की समस्याएं सुनीं.