वेदांता लिमिटेड—एक ऐसी कंपनी जिसे कभी निवेशकों के पोर्टफोलियो में ‘सोने की खान’ माना जाता था. लेकिन अब जब कंपनी रिकॉर्ड डिविडेंड बांट रही है, तब उसके शेयर की कीमत लगभग स्थिर बनी हुई है. ऐसे में सवाल उठता है—क्या यह डिविडेंड किसी वित्तीय रणनीति का हिस्सा है? क्या कंपनी कर्ज छिपा रही है? या फिर कोई बड़ा कॉर्पोरेट ऐक्शन सामने आने वाला है?

इस रिपोर्ट में जानिए वेदांता के मुनाफे और घाटे की पूरी कहानी, निवेशकों की रणनीति और कंपनी के भविष्य से जुड़े तथ्य—विस्तार से और SEO फ्रेंडली विश्लेषण के साथ.

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वेदांता लिमिटेड

Vedanta Limited

कंपनी का प्रदर्शन और डिविडेंड गेम

वेदांता लिमिटेड को शेयर बाजार में ‘डिविडेंड किंग’ कहा जाता है, और यह उपाधि सही भी लगती है. कंपनी की डिविडेंड यील्ड 8.61% है, जो कि मार्केट एवरेज से कहीं ज्यादा है.

  • शेयर प्राइस: ₹459.00 (हाल की मामूली 0.70% तेजी के साथ)
  • मार्केट कैप: ₹1.70 लाख करोड़
  • बीते एक वर्ष में ग्रोथ: मात्र 0.1%

हालांकि डिविडेंड बांटे जा रहे हैं, लेकिन कंपनी पर ₹53,251 करोड़ का भारी कर्ज अब भी बना हुआ है. शेयर में स्थिरता और लो वोलैटिलिटी ने निवेशकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है.

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निवेशकों के लिए उलझन—डिविडेंड या कर्ज का बोझ?

वेदांता के दो प्रमुख निर्णय निवेशकों के सामने असमंजस खड़ा कर रहे हैं:

  1. कंपनी लगातार भारी डिविडेंड बांट रही है.
  2. नेट डेट (Net Debt) में कमी नहीं आ रही है.

विश्लेषकों की राय है कि यदि कंपनी डिविडेंड की जगह कर्ज चुकाने पर फोकस करती, तो शेयर की स्थिति अधिक मजबूत हो सकती थी.

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शेयर प्राइस और सेक्टोरल तुलना

  • पिछले 6 महीने में रिटर्न: 2%
  • निफ्टी मेटल इंडेक्स रिटर्न: 10%
  • निफ्टी 50 रिटर्न: 5%

इससे साफ है कि वेदांता ने अपने सेक्टर और बेंचमार्क दोनों से कमजोर प्रदर्शन किया है. H1CY25 में मेटल स्टॉक्स में तेजी देखने को मिली थी, लेकिन H2CY24 की गिरावट से वेदांता उबर नहीं पाई.

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स्ट्रक्चरल रीस्ट्रक्चरिंग—क्या बदलने वाला है वेदांता का भविष्य?

कंपनी ने एल्यूमिनियम, ऑयल एंड गैस, पावर और स्टील जैसे व्यवसायों को अलग-अलग इकाइयों में विभाजित करने का फैसला किया है.

  • पहले डेडलाइन: 31 मार्च 2025
  • नई डेडलाइन: 30 सितंबर 2025

प्रमुख बातें:

  • NCLT और सरकारी मंजूरियों की प्रतीक्षा
  • शेयरहोल्डर्स को चार नई कंपनियों में अलग-अलग हिस्सेदारी मिलेगी
  • अनिल अग्रवाल का दावा: चारों कंपनियां मिलकर $400 बिलियन वैल्यूएशन तक पहुंच सकती हैं

लेकिन जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक निवेशकों की रणनीति है—”वेट एंड वॉच”.

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टेक्निकल एनालिसिस: क्या कहते हैं संकेतक?

  • RSI: 52 (न्यूट्रल ज़ोन)
  • 50-DMA और 200-DMA: कोई खास क्रॉसओवर नहीं
  • MACD: बुलिश ब्रेकआउट की संभावना फिलहाल नहीं

इसका सीधा मतलब है कि शेयर अभी रेज़िस्टेंस लेवल के पास है, और कोई बड़ा मूवमेंट तभी आएगा जब कोई ठोस कॉर्पोरेट ऐक्शन या कमोडिटी मार्केट में बदलाव होगा.

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