उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को जस्टिस वर्मा के घर में मिले अधजले नोटों के मामले में तुरंत FIR की बात कही। उन्होंने कहा- यह न केवल चिंताजनक है, बल्कि यह हमारी न्यायपालिका की नींव को हिला देने वाला है। इस मामले की जड़ तक जाने की जरूरत है। कैश कहां से आया, ये जानना बहुत जरूरी है। उन्होंने मामले पर कार्रवाई में हो रही देरी को लेकर कहा कि, सरकार के हाथ बंधे हुए हैं। उन्होंने बताया कि ऐसा इसलिए, क्योंकि लगभग 30 साल पहले एक न्यायिक आदेश आया था। इस आदेश के अनुसार, सरकार को एफआईआर (प्राथमिकी) दर्ज करने से पहले न्यायपालिका से इजाजत लेनी होगी।
उन्होंने कहा कि, मैं न्यायपालिका की स्वतंत्रता का पूरा समर्थन करता हूं। मैं न्यायाधीशों की रक्षा करने का प्रबल समर्थक हूं। हमें अपने न्यायाधीशों को तुच्छ मुकदमों से बचाना चाहिए। लेकिन जब ऐसा कुछ होता है, तो यह चिंताजनक है।’ धनखड़ ने नेशनल एडवांस्ड लीगल स्टडीज (NUALS) यूनिवर्सिटी के सेमिनार में ये बातें कहीं।
यशवंत वर्मा के घर पर मिले थे जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे
दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित घर में 14 मार्च की रात आग लगी थी। उनके घर के स्टोर रूम में 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले थे। इसके बाद से ये सवाल खड़ा हुआ कि इतना कैश कहां से आया। इस मामले को धनखड़ ने ‘भयानक अपराध’ बताया। उन्होंने सवाल किया, ‘क्या यह पैसा गलत तरीके से कमाया गया है? इसका स्रोत क्या है? यह जज के घर तक कैसे पहुंचा? असल में यह पैसा किसका है?’
‘अब तक कोई FIR दर्ज नहीं हुई’
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि ऐसा लगता है कि इस मामले में कई कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है। उन्होंने उम्मीद जताई कि FIR जल्द ही दर्ज की जाएगी। उपराष्ट्रपति ने ‘आइडियाज ऑफ मार्च'(Ides of March) फिल्म का जिक्र करते हुए कहा कि न्यायपालिका के लिए 14 और 15 मार्च की रात ‘आइडियाज ऑफ मार्च’ जैसी थी – एक बुरा समय! धनखड़ ने कहा, ‘एक हाई कोर्ट के जज के आधिकारिक आवास पर बड़ी मात्रा में नकदी मिली। अब, अगर वह नकदी मिली, तो सिस्टम को तुरंत हरकत में आना चाहिए था और पहली प्रक्रिया इसे एक आपराधिक कृत्य के रूप में मानना, उन लोगों को ढूंढना जो दोषी हैं और उन्हें न्याय दिलाना होना चाहिए था। लेकिन अब तक कोई FIR दर्ज नहीं हुई है।’
महाभियोग लाने की तैयारी में केंद्र
इससे पहले, 4 जून को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि सरकार जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के लिए संसद के मॉनसून सत्र में एक प्रस्ताव लाएगी। जस्टिस वर्मा एक सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त पैनल की जांच के दायरे में थे। यह जांच उनके दिल्ली स्थित आवास पर आग लगने की घटना के बाद शुरू हुई थी। आग लगने के बाद आउटहाउस में नकदी से भरे कई जले हुए बोरे मिले थे।
जजों के रिटायरमेंट के बाद नियुक्तियों पर सवाल उठाए
उपराष्ट्रपति ने जजों को सेवानिवृत्ति के बाद दी जाने वाली नियुक्तियों पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा लोक सेवा आयोग , नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी), को सेवानिवृत्ति के बाद सरकारी पद नहीं मिलती। लेकिन जजों के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है।
शक्तियों के अलगाव पर जोर दिया
उपराष्ट्रपति ने शक्तियों के अलगाव पर जोर देते हुए कहा, “न्यायपालिका, कार्यपालिका, और विधायिका को एक-दूसरे के क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। यदि कोई संस्था दूसरे के क्षेत्र में दखल देती है, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक हो सकता है।”
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