Mahakumbh 2025. संगम नगरी में बस कुछ ही दिनों में आस्था की भारी भीड़ उमड़ेगी. कुंभ नगरी में करोड़ों की संख्या में साधु-संत और श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाएंगे. कुंभ के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस महापर्व में गोता लगाने के लिए विश्व के अलग-अलग हिस्सों से आते हैं. इसकी महत्ता इतनी है कि बड़े-बड़े साधु-संत और महात्मा भी संगम में स्नान करने के लिए आते हैं. महाकुंभ का इतिहास (History) भी सदियों पुराना है. इसमें कई सारे रहस्य और रोचक घटनाएं भी शामिल हैं. लल्लूराम डॉट कॉम के महाकुंभ महाकवरेज की कड़ी में अब हम आपको एक ऐसी रोचक घटना के बारे में बताने जा रहे हैं.
महाकुंभ का उत्साह संतों और श्रद्धालुओं के सिर चढ़कर बोल रहा है. यही कारण है कि सभी संत और कुछ श्रद्धालु भी अब गंगा यमुना के तीर पर अपना जमघट लगा लिए हैं. 13 जनवरी से शुरु होने वाले इस महाकुंभ के लिए श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला भी शुरु हो गया है. 13 जनवरी से महाशिवरात्रि तक चलने वाले इस आयोजन को दौरान करोड़ों लोग संगम में डुबकी लगाएंगे. कुंभ के इतिहास में एक घटना ऐसी भी थी जिसमें वायसराय ने भी शिरकत की थी.
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वायसराय ने लगाई थी डुबकी
घटना 1942 की है. इतिहासकार बताते हैं कि उस दौरान हुए कुंभ में तब भारत के तत्कालीन वायसराय और गवर्नर जनरल लॉर्ड लिनलिथगो (Viceroy and Governor General Lord Linlithgow) भी महाकुंभ में शामिल हुए थे. उन्होंने इस आयोजन में काफी दिलचस्पी दिखाई थी और वे पंडित मदनमोहन मालवीय (Pandit Madan Mohan Malaviya) के साथ प्रयागराज गए थे. इतना ही नहीं इतिहासकारों की मानें तो वायसराय ने संगम में डुबकी भी लगाई थी. वायसराय ये देखकर हैरान थे कि देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों लोग कुंभ क्षेत्र में संगम में स्नान कर रहे थे और धार्मिक गतिविधियों में लीन थे.
कुंभ का खर्च सिर्फ दो पैसे
इस बीच वायसराय (Viceroy) ने मालवीय जी से कुंभ के प्रचार में हुए खर्च के बारे में पूछा. उनके सवाल का मालवीय जी ने बड़ा ही रोचक उत्तर दिया. उन्होंने वायसराय से कहा- ‘सिर्फ दो पैसे.’ मालवीय जी ने पंचांग दिखाकर समझाया कि पंचांग (panchang) मात्र दो पैसे का मिलता है. फिर उन्होंने स्पष्ट किया कि पंचांग से श्रद्धालुओं को त्योहार की तिथियों की जानकारी मिलती है. इतिहासकारों के मुताबिक मालवीय ने वायसराय से कहा था कि “यह भीड़ नहीं है. यह उन श्रद्धालुओं का संगम है, जिनकी धर्म में अटूट आस्था है.”