रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 17 नवंबर को राज सिरजन दिवस समारोह का एक बड़ा आयोजन किया गया. समारोह में छत्तीसगढ़ महतारी की वंदना 500 दीयों और राजगीत अरपा पैरी के धार…के साथ की गई. हमर छत्तीसगढ़ महतारी समिति की ओर से आयोजित इस समारोह में प्रदेश के कई लोक नृत्यों की मोहक प्रस्तुति भी हुई. समारोह में छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति के क्षेत्र में काम करने वाले संस्थानों, कलाकारों और पत्रकारों को सम्मानित भी किया गया. छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए लल्लूराम डॉट कॉम संस्थान को भी सम्मानित किया गया.

भाषा और संस्कृति पर विमर्श
समारोह के संयोजक अमित बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा के साथ ही प्रदेश की संस्कृति को ज़िंदा रखा जा सकता है. इसके लिए व्यापक स्तर जाकर काम करने की जरूरत है. भाषा के बिना हमारा अस्तिव नहीं है. ऐसे में छत्तीसगढ़ी के साथ हल्ली, गोंडी, कुड़ुक, सरगुजिया सहित अन्य बोली-भाषाओं में पढ़ाई-लिखाई बेहद जरूरी है. इसके साथ राजभाषा छत्तीसगढ़ी को सरकारी काम-काज की भाषा तत्काल बनाने की आवश्यकता है. हम सबने यही संकल्प लिया है कि छत्तीसगढ़ी को शिक्षा और सरकारी काम-काज की भाषा बनाने हर स्तर जाकर संघर्ष करेंगे. राज्य निर्माण के 19 वर्ष बाद हमारी महतारी भाषा अपने ही प्रदेश में उपेक्षित है. यह बेहद पीड़ा जनक है.

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समारोह में छत्तीसगढ़ी अस्मिता पर आधारित छत्तीसगढ़ी फिल्म जोहार छत्तीसगढ़ी का ट्रेलर भी रिलीज़ किया गया. वहीं सभी ने इस मौके पर यह निर्णय लिया है कि छत्तीसगढ़ी अस्मिता के साथ किसी भी सुरत में खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. छत्तीसगढ़ में जात-पात की लड़ाई को खत्म कर छत्तीसगढ़ के हित में सभी समाज को एकजुट किया जाएगा.

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