पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द। गरियाबंद के भैंसातरा में एक परिवार को असामाजिक तत्वों का डेरा बन चुके पंचायती रंगमंच को हटाने के लिए शासकीय कार्यालयों से लेकर न्यायालय तक का चक्कर लगाना पड़ा. सात साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उसे न्याय मिला. कमिश्नर के आदेश पर रंगमंच को तोड़ा गया, जिसके बदले परिवार ने दूसरी जगह रंगमंच बनाकर पंचायत को सौंपा.

भैंसातरा के भीखूराम साहू के परिवार के लिए घर की बगल में बना पंचायती रंगमंच मुसीबत बन गया था. नशेड़ी और शरारती लोगों का अक्सर रातभर रंगमंच पर जमावड़ा लगा रहता था. भीखूराम ने इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिये तहसीलदार से लेकर राज्यपाल तक ज्ञापन सौंपकर मदद की गुहार लगाई, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई.

आखिरकार भीखूराम ने न्यायालय में प्रकरण दर्ज कराया और 7 साल की लंबी लड़ाई के बाद आखिर उसे न्याय मिला. कमिश्नर के आदेश पर रंगमंच को तोड़ा गया, जिसके बदले में भीखूराम ने दूसरे स्थान पर रंगमंच बनाकर पंचायत को सौंप दिया. घर की बगल में बने रंगमंच के टूटने पर भीखूराम के परिवार ने राहत की सांस ली है.

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