धर्मेन्द्र यादव, निवाड़ी। मध्यप्रदेश के निवाड़ी में कोरोना मरीजों के घर में प्रशासन द्वारा ताले लगवाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। जिन घरों में ताला लगवाया गया था उनमें से कई होम आइसोलेशन में थे। जैसे ही मामले की मीडियो को भनक लगी और मीडियाकर्मी मोहल्ले में पहुंचे तो अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए और आनन-फानन में ताला खुलवाया गया।
मामला निवाड़ी के वार्ड नंबर 5 और 6 का है। कोरोना मरीजों का आंकड़ा बढ़ता देख प्रशासन ने अजीबो-गरीब फैसला लेते हुए मरीजों के घरों में ही ताला लगवा दिये। कोरोना की वजह से दहशत के साए में जी रहे मरीज और उनके परिजन इससे और भी ज्यादा दहशत में आ गए कि अगर किसी मरीज की तबियत बिगड़ी तो फिर क्या होगा।
ये दिया तर्क
मामले की जानकारी मिलते ही मीडिया कर्मी मौके पर पहुंचे तो हड़बड़ाए अधिकारियों ने ताला खुलवा दिया। ताला लगाने के पीछे प्रशासन का इससे भी ज्यादा गजब के तर्क हैं। तहसीलदार निकेत चौरसिया का कहना है कि घरों से कोई बाहर न निकले इसलिए इसलिए प्रतीकात्मक रुप से लगवाया गया था। तहसीलदार अपनी सफाई में कहते हैं कि उनके आस-पास से खबरें आ रही थी कि वे लोग पालन नहीं कर रहे हैं। घर के कुछ लोग बाहर निकलकर दहशत पैदा करते हैं। सफाई देते हुए तहसीलदार ने आगे कहा कि ताला लगाने का उद्देश्य उन्हें चेतावनी देना था कि उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
ऐसे में सवाल यही उठता है कि अगर किसी मरीज या उनके परिजन की तबियत बिगड़ती और हालात अस्पताल में भर्ती करने वाले होते तो कोई भी अनहोनी उनके साथ हो सकती थी। ऐसै में किसी भी हादसे का जवाबदेह कौन होता। देखना यह होगा कि लोगों की जान को सांसत में डालने वाले और जिंदगियों से खिलवाड़ करने वाले इस तुगलकी अधिकारी के ऊपर कार्रवाई कब होती है।
देखिये वीडियो
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