रायपुर। विधानसभा के विशेष सत्र में 126 वें संविधान संशोधन के अनुसमर्थन के प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए डॉ कृष्णमूर्ति बांधी ने कहा कि आज भी किस उद्देश्य से आरक्षण दिया गया था. आज भी एससी-एसटी के लोग जिस उद्देश्य के लिए आगे बढ़ना चाहते हैं नहीं बढ़ रहे हैं. बैकलॉग भर्तियां पड़ी हैं, समिति नहीं है जो इसे लागू कराए. व्यावरिक रूप से आरक्षण लागू नहीं कर रहे हैं. प्रमोशन में आरक्षण नहीं पाते. पोस्ट ग्रेजुएट होस्टल नहीं बढ़ा पाए. उन्होंने आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाकर 16 प्रतिशत करने की मांग की.
मोहन मरकाम ने कहा कि बस्तर विकास प्रधिकारण का पैसा स्विमिंग पुल बनाने और गाड़ी ख़रीदने में खर्च हुआ. जिस पर बांधी ने कहा हमसे गलती हुई तो आप छाती ठोंककर क्यों नहीं ठीक करते. जिसके जवाब में मोहन मरकाम ने कहा कि आपके मोहन भागवत ने जो कहा है उसके बारे में क्या कहना है.
वहीं केशव चंद्रा ने कहा कि हम सामाजिक रूप से तिरस्कार का जीवन जी रहे हैं, लेकिन व्यवहार में देखने को नहीं मिल रहा है. रिक्त पदों को भरा नहीं जा रहा है. शासकीय उपक्रम निजी हाथ में जा रहा है, निजी क्षेत्रों में आरक्षण नहीं है. जो पढ़ लिख लिया वो आगे बढ़ेगा, जो पढ़ा नहीं उसे मौका नहीं मिलेगा. आपने एससी आरक्षण को 12 से 13 प्रतिशत किया, 16 क्यों नहीं किया. ओबीसी का 27 किया, ऐसा किया कि मामला अदालत में अटक गया. इस संशोधन के साथ अनुसूचित जाति का आरक्षण 16 प्रतिशत करें, क्योंकि आज भी वो शोषण के शिकार हो रहे हैं. आज भी बराबरी का दर्जा नहीं मिल रहा है. 10 साल में शिक्षा के क्षेत्र में विकास करके उद्देश्य को पूरा कर सकते हैं.
शिवरतन शर्मा ने कहा कि क्यों लक्षय को हासिल नहीं किया. केंद्र में जो सरकार रही उसने एससी-एसटी को वोट बैंक के रूप इस्तेमाल किया. आरक्षण के नाम पर भावनाएं कैसे खेला जाता है, उदारहरण छत्तीसगढ़ है. 27 प्रतिशत हुआ. उसके बाद सीएम और उसके सहयोगियों ने खुद का जगह-जगह सम्मान कराया. इसके बाद मुख्यमंत्री का खास बंदा हाई कोर्ट जाता है और स्टे हो जाता है. जो व्यक्ति आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट जाता है. उसे कुशाभाऊ ठाकरे संस्थान के पद पर उपकृत किया गया. जिस पर मोहम्मद अकबर ने कहा कि प्रमाण पेश करें, धनेंद्र साहू ने भी आपत्ति जताई.
शिव रतन शर्मा ने कहा कुणाल शुक्ला को नियुक्त किया है गया है.
अकबर ने कहा – दोनों विषय को जोड़कर गलत आरोप लगा रहे हैं, दोनो बातों को जोड़िए मत.
वहीं उपाध्यक्ष ने विधायक को बीच में टोका और कहा कि विषय पर बोलिये.
जिसके बाद सदन में हो-हल्ला शुरु हो गया.