रायपुर। विपक्ष द्वारा विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने की नोटिस और सत्र के स्थगन को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने सामने आ गए हैं. विपक्ष द्वारा दिये गए अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस पर मंत्री शिवकुमार डहरिया ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अध्यक्ष के खिलाफ जो अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है, हम उसका स्वागत करते हैं. आएं और सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाएं हम लोग देखते हैं कैसे करते हैं. विपक्ष बेलगाम हो गया है, कार्यसूची फाड़कर अध्यक्ष की ओर फेंकना, संसदीय प्रक्रिया पर कुठाराघात करना है, देश में भाजपा कीर्तिमान स्थापित कर रही है यहां भी वो कीर्तिमान स्थापित करने का सोचते हैं. लेकिन यहां प्रजातंत्र को जीवित रखने के लिए सरकार सक्षम है, हमारे सारे विधायक सक्षम है इस तरह प्रजातंत्र के खिलाफ कोई काम होगा तो हमारी सरकार बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी.

वहीं भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने सत्ता पक्ष के ऊपर संसदीय परंपराओं की हत्या करने का आरोप लगाया है. मीडिया से बात करते हुए बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि विपक्ष को बिना सुने और अध्यक्ष जी ने सत्ता पक्ष की मर्जी को पूरा करने के लिए प्रश्नकाल को स्थगित कर दिया गया. ये पहली बार नही हो रहा है. इस सदन में ये लगातार हो रहा है. जब बजट प्रस्तुत करने के लिए प्रश्नकाल स्थगित कर दिया गया कार्य सूची को विलोपित कर दिया गया. राज्यपाल का अभिभाषण दो बार करा दिया गया. इस प्रकार लगातार संसदीय परंपराओं की हत्या की जा रही. छत्तीसगढ़ की उच्च परंपराओं को तोड़ने के लिए सत्तापक्ष और अध्यक्ष विपक्ष को मजबूर कर रहे हैं इसलिए अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा.

वहीं अजय चंद्राकर ने प्रश्नकाल को स्थगित करने पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि देखिये अब छत्तीसगढ़ विधानसभा में स्थिति यह बन गई है कि जहां संसदीय परम्पराएं सत्ता धारी दल के द्वारा तोड़ी जा रही है. विपक्ष की संख्या तो 14 है, कोरोना की वजह से प्रश्नकाल को स्थगित करना, इसका औचित्य पहले तलाशें. कौन से प्रक्रिया नियम के तहत स्वास्थ्यमंत्री प्रस्ताव रखते हैं और संसदीय कार्यमंत्री… इसको प्रश्नकाल के बाद क्यों नहीं कर सकते, ये प्रश्नकाल को बाधित करना है.

अजय चंद्राकर ने आगे कहा कि दूसरा जब हम कार्यमंत्रणा के प्रतिवेदन को रख रहे थे हम बात करना चाह रहे थे तो वो नहीं सुन रहे थे. और आप के पास प्रश्नावली आती है, कार्य सूची आती है आप देखिये इतने दिन के सत्र में मुख्यमंत्री का एक भी ध्यानाकर्षण या एक भी क्वेश्चन डे हुआ है तो, एक भी क्वेश्चन डे नहीं हुआ है. किन्ही न किन्हीं कारणों से क्वेश्चन डे टाल दिया गया. एक भी ध्यानाकर्षण नहीं हुआ. हम लोग प्रस्ताव भेजे कि हम बात करना चाहते हैं तो उनके लिए समय नहीं है, तो एक ही लाइन है कि आप विपक्ष की बात नहीं सुनना चाहते नहीं करना चाहते तो वो कार्यसूची का कोई महत्व नहीं है, जिसका पालन खुद सत्तारुढ़ दल या सचिवालय नहीं कर रहा है. उस कार्यसूची का कोई मतलब नहीं है, उसको फाड़ने को कोई असंसदीय नहीं कहा जा सकता. आपको इतनी लंबी कार्यसूची जारी करने की जरुरत क्या थी जिसका पालन नहीं करना है आपको, नाटक क्यों कर रहे हैं आप. इसलिए हमार दल ने हमारे नेता प्रतिपक्ष ने निर्णय लिया है कि हम अध्यक्ष जी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे.