भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद विजय कुमार मल्होत्रा का मंगलवार सुबह नई दिल्ली स्थित AIIMS में निधन हो गया। उनका उम्र 94 वर्ष थी। मल्होत्रा दिल्ली में भाजपा और उसके पूर्व संगठन जनसंघ के प्रमुख चेहरों में से एक माने जाते थे। उन्होंने पांच बार सांसद और दो बार दिल्ली से विधायक के रूप में सेवा दी। इसके अलावा, वह दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष भी रहे।

जन्म और शुरुआती जीवन

विजय कुमार मल्होत्रा का जन्म 3 दिसंबर 1931 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के लाहौर शहर में हुआ था, जो आज पाकिस्तान का हिस्सा है। वे कविराज खजान चंद के सात बच्चों में चौथे थे। 1947 के विभाजन के दौरान उनका परिवार दिल्ली आकर बस गया, जहां उन्होंने अपनी शिक्षा और राजनीतिक यात्रा की नींव रखी।

राजनीतिक करियर

मल्होत्रा की राजनीतिक यात्रा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से शुरू हुई। संघ की विचारधारा से प्रेरित होकर उन्होंने 1950 के दशक में राजनीति में कदम रखा। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गजों के साथ संघ से निकलकर भारतीय जनसंघ (भाजपा का पूर्ववर्ती संगठन) में शामिल होकर दिल्ली में संघ की विचारधारा के विस्तार में सक्रिय योगदान दिया।

वे 1972-75 के बीच दिल्ली प्रदेश जनसंघ के अध्यक्ष रहे और इसके बाद 1977-80 और 1980-84 के बीच दो बार दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चुने गए। मल्होत्रा का सक्रिय राजनीतिक सफर लंबा रहा और उन्हें केदारनाथ साहनी और मदनलाल खुराना के साथ दिल्ली में भाजपा को मजबूत बनाए रखने का श्रेय दिया जाता है। मल्होत्रा एक शिक्षाविद भी थे और उन्होंने हिंदी साहित्य में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। राजनीति और सामाजिक कार्यों के अलावा वह दिल्ली में शतरंज और तीरंदाजी क्लबों के प्रशासन से भी जुड़े रहे।

मल्होत्रा दिल्ली के चीफ एग्जीक्यूटिव काउंसलर भी रहे, जो आज के मुख्यमंत्री के पद के बराबर माना जाता है। उन्हें केदारनाथ साहनी और मदनलाल खुराना के साथ दिल्ली में भाजपा को मजबूत बनाए रखने का श्रेय दिया जाता है। मल्होत्रा पांच बार सांसद और दो बार विधायक रहे। उनका सक्रिय राजनीतिक सफर दिल्ली की राजनीति में हमेशा याद किया जाएगा।

चुनावी उपलब्धियां

मल्होत्रा की सबसे बड़ी राजनीतिक उपलब्धि 1999 के लोकसभा चुनाव में दक्षिण दिल्ली सीट से तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह को भारी अंतर से हराना मानी जाती है। उन्होंने पांच बार सांसद और दो बार विधायक के रूप में सेवा दी।

2004 के आम चुनाव में दिल्ली की सातों सीटों पर भाजपा की हार के बावजूद वे दक्षिण दिल्ली से एकमात्र विजयी उम्मीदवार रहे।

2014 में 82 वर्ष की आयु में उन्होंने दिल्ली चुनाव अभियान की कमान संभाली और पार्टी को सभी सात लोकसभा सीटें जिताने में योगदान दिया।

2008 में भाजपा ने उन्हें दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया।

2015 में उन्हें ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ स्पोर्ट्स (AICS) का चेयरमैन नियुक्त किया गया, जहां उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा मिला।

बने थे मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार

केदारनाथ साहनी और मदनलाल खुराना जैसे नेताओं के साथ, मल्होत्रा ने दशकों तक दिल्ली में भाजपा को मजबूत और सक्रिय बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई। उनका राजनीतिक करियर 45 साल से भी लंबा रहा। वे 2008 से 2013 तक दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे और 2008 में भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था।

बीते दिन दिल्ली BJP को मिला नया दफ्तर

यह संयोग है कि उनकी मृत्यु ऐसे समय में हुई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिन दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर दिल्ली भाजपा का पहला स्थायी राज्य कार्यालय उद्घाटन किया। पार्टी नेताओं ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, जिसे मल्होत्रा लंबे समय से चाहते थे। उनके निधन पर भाजपा और दिल्ली की राजनीति में शोक की लहर है।

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