सत्यपाल राजपूत, रायपुर. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने भूपेश कैबिनेट के फ़ैसले को संघीय ढांचे के खिलाफ बताया है. उन्होंने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा में स्पष्ट बहुमत के साथ बिल पारित होने के बाद राष्ट्रपति के पास गया, तब यह क़ानून बना है. ऐसी स्थिति में राज्य सरकार को कैबिनेट में बिल पारित करना विधानसभा में प्रस्ताव लाना कहीं भी न्यायोचित नहीं है. संघीय ढांचे के अनुसार लोकसभा, राज्यसभा से पास बिल को इनको लागू करना चाहिए. इस क़ानून में कहीं पर भी किसी की नागरिकता छीनने के बारे में नहीं लिखा गया है, बल्कि इसमें नागरिकता देने का प्रावधान है. इस तरह राज्य सरकार अनर्गल बात करके लोगों को गुमराह कर रही है, जो न्यायोचित नहीं है.

भूपेश सरकार द्वारा दिए तर्क संप्रदाय विशेष को लेकर बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि किसी भी प्रकार की इसमें सांप्रदायिक भेदभाव की बात नहीं है. ये स्पष्ट रूप से है जो अल्पसंख्यक चाहे वो पाकिस्तान का हो या बांग्लादेश का या अन्य देश का, जो लोग धार्मिक आधार पर पीड़ित है. उनको नागरिकता देने की बात है न कि यहां के लोगों को भगाने का. इस तरह प्रदेश सरकार लोगों को गुमराह कर रही है.

जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह यहां आए थे. उन्होंने स्पष्ट किया था कि इसमें किसी की नागरिकता छीनने की बात नहीं है, बल्कि देने की है. प्रदेश के लोगों को घबराने की आवश्यकता नहीं है.

बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर सीएए को वापस लेने की मांग की है. उन्होंने पत्र में सीएए को धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों में भेदभाव करने वाला और संविधान के अनुच्छेद 14 के विपरीत बताया है. प्रधानमंत्री को लिखे गए इस पत्र में उन्होंने प्रदेश में सीएए के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन का जिक्र करते हुए कहा है कि इस अधिनियम के खिलाफ प्रदेश में शांतिपूर्ण प्रदर्शन हो रहे हैं जिसमें विभिन्न वर्ग के लोग शामिल हो रहे हैं. छत्तीसगढ़ में मूलतः अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के निवासी हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में गरीब, अशिक्षित एवं साधनविहीन हैं, जिसे इस अधिनियम की औपचारिकता को पूर्ण करने में कठिनाइयों का निश्चित रूप से सामना करना पड़ सकता है.