सरगुजा। परसा ईस्ट और केते बासेन खदान से स्थानीय लोगों को भरपूर रोजगार मिल रहा है. परसा ईस्ट और केते बासेन खदान के बदौलत स्थानीय खुशियां खरीद रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि बाहरी लोग माहौल बिगाड़ रहे हैं. हमें खदान से रोजगार मिल रहा है, जिससे हम परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं.

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दरअसल, सरगुजा जिले के कोयला खदान क्षेत्र के घाटबर्रा, परसा, साल्ही, हरिहरपुर, जनार्दनपुर, तारा और फतेहपुर के ग्रामीणों ने 14 अक्टूबर को निकलने वाली रैली का विरोध किया है. ग्रामीणों ने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक समेत अन्य अधिकारियों को पत्र लिख कर खनन परियोजना के खिलाफ घोषित रैली पर रोक लगाने की मांग की है.

गांव साल्ही के विजमान सिंह पोर्ते, जनार्दनपुर के समयलाल पोर्ते, परसा के ओमप्रकाश, ग्राम फतेपुर के केेश्वर सिंह पोर्ते आदि सैकड़ों ग्रामीणों ने अपने हस्ताक्षरित पत्रों में लिखा है कि रैली की खबर से ग्रामीणों में भय और दहशत है. जिससे शांति व्यवस्था भंग होने की पूरी संभावना है.

पत्र में ग्रामीणों ने यह भी लिखा है कि यह इलाका काफी शांतिपूर्ण रहा है और कुछ बाहरी तत्व और एनजीओ अपने स्वार्थ के लिए कोयला परियोजना का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि इस दुष्प्रचार के कारण कुछ दिन पहले खनन परियोजना का काम बंद कर दिया गया था, जिससे हजारों लोग बेरोजगार हो गए और उन्हें रोजी-रोटी की बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा. जब से कोयला परियोजना दोबारा शुरू हुई है तब से क्षेत्र के लोगों में खुशी की लहर है.

सभी को रोजगार मिलने की उम्मीद है. यहां संचालित परसा ईस्ट और केटे बेसन खुली खदान परियोजनाएं आसपास के 5000 से अधिक ग्रामीणों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करती हैं.

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