सूरजपुर में इन दिनों गर्मी की तपिश से लोगों का बुरा हाल है. ऐसे में पानी की बूंद बूंद के लिए ग्रामीण मोहताज हैं. सरकार की महत्वपूर्ण नल जल योजना सिर्फ कागजों में इस जिले में संचालित हो रही है. सूरजपुर जिले के कई गांव ऐसे हैं जहां के ग्रामीण आज भी आधुनिकता के युग में बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. कहने को प्रशासन ने कागजों पर नल जल योजना (nal jal yojana) की एक तस्वीर उकेरी हुई है, लेकिन हकीकत ठीक इसके विपरीत अपनी कहानी बयां कर रही है.

यहां नल की टोटी में से ना तो हवा बाहर आ रही है और ना ही पानी. आलम ये है कि ग्रामीणों को पानी के लिए रोजाना दो चार होना पड़ रहा है. दरअसल, सूरजपुर जिले में गांव-गांव तक शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए पीएचई विभाग (PHE Department) द्वारा नल जल योजना (nal jal yojana) संचालित की जा रह है. जिसके लिए करोड़ों रुपये की लागत से पीएचई विभाग ने कई गांवों को चिन्हांकित करते हुए यहां पाइप लाइन बिछाकर वाटर टैंक लगा दिया. लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद भी आज ये नल जल योजना सिर्फ शो पीस बनकर जिले के गांव में सुशोभित हो रही है.

लापरवाही अधिकार-ठेकेदार की, भुगत रहे ग्रामीण

जब भी नल जल योजना (nal jal yojana) की बात की जाती है तो मन में एक सुंदर तस्वीर शुद्ध पेयजल की निकलकर सामने आती है. लेकिन सूरजपुर जिले में आधिकारी और ठेकेदारों की लापरवाही के कारण आज यह योजना सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गई है. ग्रामीण रोजाना शुद्ध पेयजल के लिए कई किलोमीटर का सफर तय कर रहे हैं. रोजमर्रा की जरूरतों के लिए या तो ये लोग ढोड़ी के गंदे पानी का उपयोग करते हैं या फिर किसी कुएं से पानी लेकर अपने घर आते हैं. यहां पानी भरने के लिए लंबी कतारें ये बताती हैं कि सूरजपुर जिले में नल जल योजना होने के बावजूद जल संकट किस कदर गहराया हुआ है. बच्चों से लेकर बड़ों तक पानी के लिए हाथ में बर्तन लिए सुबह से ही जद्दोजहद में जुट जाते हैं. ताकि उनके परिवार वालों को दो बूंद पानी नसीब हो सके.

कलेक्टर से मिले जनप्रतिनिधि

पानी की समस्या को लेकर जिला पंचायत की अध्यक्ष राजकुमारी मरावी और प्रदेश महामंत्री आदिवासी कांग्रेस शिव भजन मरावी ने नवपदस्थ कलेक्टर संजय अग्रवाल से मुलाकात कर समस्याओं के निराकरण करने के साथ दोषी ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने बताया कि जिन गांव में पीएचई के ठेकेदार ने नल जल योजना के तहत पाइपलाइन लगाएं हैं, उसमें से कुछ जगहों पर टंकी नहीं लगी है. कुछ जगह पर पाइपलाइन विस्तार का काम अब तक नहीं हो सका है. इस पर कलेक्टर ने उन्हें समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया.

अधिकारियों और ठेकेदारों की लापरवाही के कारण आज सरकार एक अच्छी योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है. गर्मी की तपिश में जहां पारा 42 डिग्री के ऊपर जा पहुंचा है, ऐसे में जिले के आला अधिकारियों को जमीन पर उतरकर सच्चाई को देखने की जरूरत है. ताकि किसी भी ग्रामीण को बूंद बूंद पानी के लिए मोहताज ना होना पड़े.