रिपोर्ट- रामेश्वर मरकाम, धमतरी। छत्तीसगढ सरकार अतिम छोर में बसे बाशिंदो तक बुनियादी सहूलियतें पहुंचाने का दावा करती है लेकिन इन दावों की जमीनी हकीकत क्या है, ये धमतरी के नक्सल प्रभावित इलाके के कसपुर गांव मे देखा जा सकता है।
इस गांव में आवागमन का कोई साधन नहीं होने की वजह से गांव विकास से कोसों दूर है। बरसात के दिनो में गांव के हालात बद से बदतर हो जाते हैं। शासन-प्रशासन की उदासीनता के चलते यहां के लोग सरकारी महकमों से खासे नाराज हैं।
विकास की बाट जोह रहे ग्रामीणों ने स्वयं ही गांव में लकड़ी का पुल बना दिया है ताकि आवाजाही संभव हो सके और वे विकास की मुख्यधारा में जुड़ सकें।
ये तस्वीर है जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर और नगरी विकासखंड 40 किलोमीटर दूर बसे कसपुर गांव की। ये गांव नदी और नालो से घिरा हुआ है, जिसकी वजह से बारिश का मौसम यहां रहने वाले लोगों के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ बन कर टूट पड़ता है।
दरअसल गांव मे आवागमन का कोई दूसरा साधन ही नहीं है। लोगों को दूसरे गांव जाने या फिर जिला मुख्यालय जाने के लिये नदी नाले को पार कर जाना पड़ता है। ग्रामीणों की माने तो आवागमन का रास्ता नहीं होने से इलाज के अभाव में कई मौत भी हो चुकी है। वहीं नाला पार करते वक़्त कई हादसे भी हो चुके हैं।
ग्रामीणों ने कई बार पुल बनाने की गुहार लगाई लेकिन सरकारी नुमाईंदों के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। लिहाजा ग्रामीणों ने खुद ही नाले पर पुल बनाने का निर्णय लिया। जिसके तहत ग्रामीणों ने दिन-रात एक कर खुद लकड़ी काटी और नाले के ऊपर पुल बना दिया। जिसके बाद वे अब इसी पुल से आवाजाही शरु कर दिए हैं।