अंबिकापुर। जिले के उदयपुर ब्लॉक में स्थित केते एक्सटेंशन कोल परियोजना की जनसुनवाई के समर्थन में प्रभावित गांवों के ग्रामीणों ने सोमवार को सरगुजा कलेक्टर और क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी के नाम ज्ञापन सौंपा. ग्रामीणों ने बताया कि केते एक्सटेंसन कोल ब्लॉक के संचालन से यहां पर हजारों लोगों को नौकरी, स्व-रोजगार के साथ साथ शिक्षा, स्वास्थ्य तथा अन्य मूलभूत सुविधाओं का विस्तार होगा. इसे भी पढ़ें : यात्रीगण ध्यान दें!, यह तबेला नहीं हाईटेक बस स्टैंड है, देखिए वीडियो…

ग्राम परसा, साल्ही, हरिहरपुर इत्यादि गांव के 100 से अधिक ग्रामीण हस्ताक्षरित ज्ञापन देने 15 जुलाई को अंबिकापुर कलेक्टर और क्षेत्रीय पर्यावरण कार्यालय पहुंचा. इस दौरान मौजूद ग्राम परसा की मीरा बघेल, सरपंच झल्लूराम सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि,“हम सभी ग्रामवासी 2 अगस्त को केते एक्सटेंशन के लिए हमारे गांव परसा में होने वाले पर्यावरणीय जन सुनवाई का समर्थन करते हैं, और इसे तय समय में पूरी कराने की मांग करते हैं.“

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ज्ञापन में ग्राम परसा, घाटबर्रा, हरिहरपुर, जनार्दनपुर इत्यादि गांव के ग्रामीणों ने लिखा है कि राजस्थान राज्य विद्युत की कोयला खदान जब से हमारे क्षेत्र में खुली हैं तब से नौकरी और स्वरोजगार सहित गावों में शिक्षा, स्वास्थ्य, ढांचागत विकास के कई कार्यक्रम संचालित हैं. जिससे हमें विकास की मुख्यधारा से जुड़ने का मौका मिला हैं. साथ ही हम तमाम जन प्रतिनिधि एवं ग्रामवासी चाहते है कि परियोजना आए और क्षेत्र के लोगों को मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराया जाय, जिससे क्षेत्र का बहुमुखी विकास हो सके.

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ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि कुछ बाहरी तथाकथित एनजीओ गांव के सीधे-साधे ग्रामवासियों को बहलाकर जन सुनवाई के विरोध में प्रशासन के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करने की बात कही जा रही है. हम ग्रामवासियों का परियोजना के पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु सुनवाई के लिए किसी प्रकार का कोई विरोध नहीं है. ग्रामीणों ने केते एक्सटेंसन कोल ब्लाक के पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु होने वाले जन सुनवाई का शांतिपूर्ण तरीके से आयोजन कराने की मांग की है.

उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भी इन ग्रामीणों द्वारा राजस्थान राज्य विद्युत की वर्तमान में संचालित परसा ईस्ट केते बासेन (पीईकेबी) कोयला खदान के निर्बाध संचालन तथा परसा कोल ब्लॉक (पीसीबी) को शुरू कराने का ज्ञापन वर्ष 2021 के मार्च से वर्तमान वर्ष 2024 के जुलाई महीने तक निम्न तिथियों में मुख्य मंत्रियों और उच्चाधिकारियों को सौंपी गई थी. इस साल भी ग्रामीण लगातार पीसीबी कोयला खदान खोलने का अनुरोध अलग-अलग स्तर पर कर रहे हैं.