मनोज उपाध्याय, मुरैना। मुरैना में आई बाढ़ की तबाही के निशान पानी उतरने के बाद भी मौजूद हैं। बाढ़ की वजह से लोगों का जीवन और भी मुश्किल भरा हो गया है। बाढ़ ने यहां रहने वाले लोगों का सबकुछ तबाह कर दिया। लोगों के पास न खाने का कुछ है, न पहनने का बचा है। खाने के अनाज से लेकर सब कुछ बाढ़ का पानी अपने साथ बहा कर ले गया। दिमनी ग्राम पंचायत के लज्जाराम गांव का हाल भी ऐसा ही कुछ है। गांव में अभी भी चारों ओर बाढ़ का पानी ही पानी है। गांव में सिर्फ एक ही कुआं है जो कि बाढ़ के गंदे और मटमैले पानी से भरा हुआ है। जिसका पानी ग्रामीण पिछले 6 दिनों से पी रहे हैं। बाढ़ से घिरे इस गांव को अभी तक प्रशासन की कोई मदद नहीं मिली है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव का सरपंच एक बार आया था, हर घर में 5-5 किलो आटा देकर चला गया। इसके बाद क्षेत्रीय विधायक रविन्द्र सिंह 10 किलो आटा व 10 किलो आलू दे गए और एक दिन पूर्व मंत्री गिर्राज डण्डोतिया गांव में केले बांटकर चले गए।

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गांव के कुछ घर पूरी तरह ढह गए हैं और कुछ घरों की स्थिति ऐसी है कि वे कभी भी ढह सकते हैं। ग्रामीण पोपसिंह, हरिओम, मुनेश, रामशंकर व रामनरेश के घरों की नींव की मिट्टी धंसक गई है, जिससे इनके ढहने का डर है।

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गांव के ही एक बाढ़ पीड़ित श्रीराम सिंह ने बताया कि बाढ़ की त्रासती के नाम से ही सिहर उठते हैं। उनका घर धस चुका है, जहां वे दो दिन से ही पत्थर-मिट्टी हटाने में जुटे हुए हैं। ग्रामीण सियाराम का मकान पूरी तरह बाढ़ में बह चुका है। मीनाबाई ने बताया कि सरपंच पांच-पांच किलो आटा दे गया और उसने कह दिया कि तुम्हारा कोई नुकसान नहीं हुआ।

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