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पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में जिले में सिस्टम और जिम्मेदारों की अनदेखी से नाराज लोगों ने खुद सड़क बनवा लिए. अपनी समस्या को सुलझाने एकजुट हो गए. तर्रा में सड़क निर्माण की मांग को लेकर कई साल इंतजार किए. नेशनल हाइवे जाम किए, तब भी समस्या सुलझी नहीं, तो ग्रामीणों ने चंदे के पैसे से पक्की सड़क बना लिया. सड़क बनाने के साथ ही चुनाव बहिष्कार भी ऐलान किया है. अब इसी तरह समस्या समाधान के लिए एक जुट होने का मामला देवभोग जनपद में भी सामने आया है.
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पंचायत के मदों का दुरुपयोग और परिवार के सदस्यों को आर्थिक लाभ समेत भ्रष्टाचार के मामले में घिरे बरबहली पंचायत में जिम्मेदारी के अनदेखी का एक और मामला सामने आया है. पंचायत के अधीन जोर बधियापारा और पोड़ागुरिया पारा के लोगों को बारिश में कच्ची और कीचड़ से लथपथ सड़क से आवाजाही के लिए भारी परेशानी हो रही थी.
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ग्रामीण मनबोध पाथर, दुंदर पाथर,सुधीर यादव,बालीधर, पुरनधर ने बताया कि आवाजाही की समस्या से ग्राम पंचायत को भी अवगत कराया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. पंचायत की चुप्पी के बाद सभी आपस में चंदा कर राशि एकत्र किए, फिर श्रमदान से मुरम की पटाई कर 11 अगस्त को सड़क को आवाजाही के लायक बनाया.
धारा 40 के तहत कार्रवाई प्रक्रियाधीन
बता दें कि इस पंचायत में निर्माण कार्य से लेकर विभिन्न मामले में अनियमितता के आरोप लगे थे. जनपद सीईओ के जांच में अनियमितता की पुष्टि होने के बाद अप्रैल 2023 में कार्रवाई के लिए मामला एसडीएम को प्रस्तुत किया गया था. एस डी एम अर्पिता पाठक ने धारा 40 के तहत मामला दर्ज कर सरपंच सुमित्रा सिन्हा को नोटिस तामिल किया हुआ है. सरपंच पर कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है.
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डेढ़ लाख में कर दिखाया 4 लाख का काम
ग्राम पंचायत झाखरपारा के आश्रित ग्राम तांडीपारा के ग्रामीणों ने भी पंचायत की अनदेखी के बाद खुद से अपना रास्ता बना लिया. ताड़ीपारा जाने करीब 1 किमी के कच्ची सड़क में बड़े बड़े गढ्ढे हो गए थे. सड़क मरम्मत के लिए ग्रामीण 2 साल से मांग करते आ रहे थे. सरपंच सनत मांझी केवल आश्वासन दे रहा था. स्टीमेट बनावकर 4 लाख खर्च होने का दावा भी पंचायत कर रही थी, लेकिन 8 अगस्त को ग्रामीणों ने सड़क बनाने की ठान लिया.
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पूर्व जनपद सदस्य श्याम लाल ताड़ी ने बताया की मोहल्ले में रहने वाले 500 सदस्यों ने श्रमदान किया. साहसखोल से बोल्डर व मुरम की खरीदी किए।ट्रेक्टर पोकलेन लगाकर सभी के श्रम दान के बाद 10 अगस्त को सड़क आवाजाही के लायक बना दिए. इन सब में श्रम दान के अतरिक्त डेढ़ लाख का खर्च हुआ, जिसे आपसी चंदा कर जुटाया गया था.
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नदी का रुख मोड़ सिंचाई का मामला में भी आया था
सड़क के आलवा सिस्टम की अनदेखी के बाद सिंचाई सुविधा के लिए श्रम दान का मामला भी सामने आया था. इसी 8 अगस्त को परेवापाली, सेनमूडा समेत 4 गांव के 50 कृषकों ने नदी का रुख मोड़ कर 1000 एकड़ को सिंचाई सुविधा दिलाया था. कम बारिश के कारण फसल सूखने के कगार पर था. नदी में पानी बह रही थी. बनाए गए सिंचाई योजना डेमेज पड़ा हुआ था. ऐसे में सिंचाई के लिए लामबंद किसानों ने खेतों की सिंचाई कर प्रशासन के मुंह में तमाचा जड़ दिया था.
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देवभाग जनपद सीईओ प्रतीक प्रधान ने कहा कि ग्राम विकास मद में सड़क मरम्मत का प्रावधान है. ग्रामीणों की मांग के बाद पंचायत कार्य योजना तैयार कर इस मद का खर्च कर सकती थी.
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