अंबिकापुर. फर्जी ग्रामसभा के जरिए खनन परियोजना को केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी दिए जाने को लेकर ग्रामीणों में रोष बढ़ते जा रहा है. परसा कोल ब्लॉक का भी मामला ऐसा है, जिसके विरोध में ग्रामीणों ने अपनी बात प्रशासन तक पहुंचाने के लिए 28 किमी की पदयात्रा की, लेकिन अधिकारी के रवैये से निराश होकर बिना ज्ञापन दिए ही ग्रामीणों को लौटना पड़ा. ग्रामीण अब राजधानी जाकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपने की बात कर रहे हैं.
उदयपुर में संचालित परसा ईस्ट केते बासन कोयला खदान और प्रस्तावित परसा कोल ब्लॉक राजस्थान राज्य विधुत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित हैं. इसका ठेका एसडीओ के माध्यम से अडानी कंपनी के पास है. ग्रामीणों का आरोप है कि इन दोनों परियोजनाओं को यहां के आदिवासी और अन्य परंपरागत वन समुदायों के अधिकारों का हनन कर संचालित किया जा रहा हैं, जिसके विरोध में ग्रामीणों ने 28 किमी की पैदल यात्रा कर एसडीएम कार्यालय पहुंचे. लेकिन एसडीएम ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया और चार लोगों से आफिस में बैठकर बात करने को कहा. इससे नाराज ग्रामीण 2 घंटे तक वहीं धरने पर बैठे रहे. इसके बाद ग्रामीण बिना ज्ञापन सौंपे निराश होकर लौट गए.
ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी और शासकीय कर्मचारी मिलकर साजिशन फर्जी जानकारियों के आधार पर फर्जी ग्रामसभाओं के प्रस्ताव तैयार कर इन खनन परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान करवा रहे हैं. परसा कोल ब्लॉक के लिए ग्रामसभा की सहमति के बिना ही गैरकानूनी तरीके से भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई की जा रही हैं, जिसे वर्तमान सरकार के द्वारा निरस्त नहीं किया गया. वहीं परियोजना के लिए अडानी कंपनी ने वन एवं पर्यावरण स्वीकृति हासिल करने फर्जी ग्रामसभा के प्रस्ताव तैयार कर केंद्रीय मंत्रालय को भेजा गया है, जिससे नाराज ग्रामीण कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहे हैं.
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