पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में बसे 51 गांवों के 2,000 परिवार विस्थापन के ऐलान से सकते में आ गए हैं। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने देश भर के रिजर्व फॉरेस्ट में आने वाले 591 गांवों को विस्थापित करने की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है, जिसके विरोध में कोर इलाके में रहने वाले परिवारों के सैकड़ों महिला-पुरुष जिला मुख्यालय में एकत्र हुए। गांधी मैदान से रैली निकालते हुए भीड़ ने अभ्यारण्य कार्यालय का घेराव किया, लेकिन पहले से ही प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे और भीड़ को कार्यालय के बाहर ही रोक दिया गया।
ग्रामीणों की मांगें और सुझाव
रैली का नेतृत्व अभ्यारण्य संघर्ष समिति के अध्यक्ष अर्जुन नायक, टिकम नागवंशी, लोकेश्वरी नेताम, और संजय नेताम समेत अन्य नेताओं ने किया। प्रशासन की ओर से डिप्टी कलेक्टर राकेश गोलछा और अभ्यारण्य उपनिदेशक वरुण जैन ने ग्रामीणों से चर्चा की और ज्ञापन लिया। ग्रामीणों ने 4 पन्नों के ज्ञापन में 11 सुझाव और 6 मांगें रखीं, जिनमें विस्थापन समिति के गठन और पेसा कानून के तहत सुनवाई की मांग प्रमुख रही। इसके साथ ही, ग्रामीणों ने पूर्व में विस्थापित आदिवासियों की दशा का अवलोकन करने की मांग की।
पर्यावरण सुधार में ग्रामीणों की भूमिका
ग्रामीणों ने दावा किया कि वे हजारों साल से जंगलों में बसे हुए हैं और वन संरक्षण के लिए प्रशासन के पर्यावरण सुधार लक्ष्यों में सहभागी रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
प्रशासन का रुख
उप निदेशक वरुण जैन ने कहा कि ग्रामीण अपने हितों को लेकर सजग हैं और उनकी सहमति के बिना कोई भी विस्थापन कार्यवाही नहीं की जाएगी। प्रशासन ग्रामीणों के हित में ही काम करेगा, और उनकी सहमति के आधार पर ही आगे की कार्यवाही होगी।
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