प्रमोद निर्मल, मानपुर- मानपुर ब्लॉक मुख्यालय से चार किमी दूर मदनटोला-भर्रीटोला नदी में रेत की अवैध निकासी से हलाकान मदनटोला और भर्रीटोला के ग्रामीणों ने माफियाओं पर धावा बोला. ग्रामीणों ने रेत निकासी करने पहुंचे तीन स्वराज माजदा और चार ट्रैक्टरों सहित कुल सात वाहनों को नदी में रोककर वाहनों को अपने कब्जे में ले लिया.
7 जनवरी सुबह आठ बजे ग्राम मदनटोला घाट पर ग्रामीणों ने इकट्ठे होकर रेत लोड कर चुके और करने में जुटे वाहनों को नदी में रोककर सबसे पहले करीब 9 बजे नायब तहसीलदार मानपुर को फोन किया. ग्रामीणों के मुताबिक नायब तहसीलदार ने ग्रामीणों को वाहनों को रोककर रखने की बात कह कर तुरंत मौके पर पहुंचने का आश्वासन दिया. ग्रामीण अपना कामकाज छोड़ सुबह करीब साढ़े आठ बजे अभी तक नायब तहसीलदार मौके पर नहीं पहुंचे. ग्रामीणों ने वाहनों को रोके अभी भी नदी में जुटे रहे. प्रशासन के नहीं पहुंचने से उनमें खासा आक्रोश देखने को मिला.
आखिरकार हरकत में आया प्रशासन, नदी से पांच वाहन जब्त, एक हाइवा रोड में भी सपड़ाया
सूचना के करीब ढाई घंटे बाद आखिरकार प्रशासन हरकत में आया. सुबह से नदी से अवैध रेत परिवहन कर रहे वाहनों को पकड़कर करीब ढाई से तीन घंटे निगरानी करते रहने के बाद महज चार किमी दूर ब्लॉक मुख्यालय से राजस्व अमला मौके पर पहुंच सका. यहां पहुंचे नायब तहसीलदार सुरेंद्र उर्वषा ने वाहन चालकों से वाहनों की चाबी ले ली. वही साथ पहुंचे राजस्व कर्मी अमन सिंह भाटिया को लिखित कार्यवाही सुनिश्चित कर सभी गाड़िया जब्त करने के निर्देश दिए. करीब घंटे भर कागजी कार्यवाही के बाद पांच वाहनों को जब्त कर मानपुर थाने को सौंप दिया गया. वहीं इसी दरमियान मानपुर राजहरा मुख्य मार्ग पर मानपुर स्थित शिवलोक के पास भी गिट्टी से लदा एक हाइवा राजस्व अमले के हाथ लग गया.
खड़गाव, मोहभट्ठा व भर्रीटोला के नदी से जब्त की गई गाड़ियों में तीन स्वराज माजदा व चार ट्रैक्टर शामिल हैं. स्वराज माजदा मोहभट्ठा निवासी चेमन साहू , खड़गाव निवासी फूल दास मंडावी तथा कहडबरी निवासी सेवन्त कोमरे की वही ट्रैक्टर खड़गाव निवासी ओम प्रकाश शर्मा तथा भर्रीटोला निवासी असरफ खान की बताई जा रही है. सभी के विरुद्ध माइनिंग एक्ट के तहत कार्यवाही कर वाहनों को मानपुर थाने ले गई है.
नियमों की अवहेलना कर ग्राम पंचायत बेच रहा रेत, अफसर मौन
बता दें कि इस नदी पर विभिन्न घाटों में लंबे समय से ग्राम पंचायत भर्रीटोला द्वारा मनमानी ढंग से प्रत्येक खेप के एवज में शुल्क लेकर रेत का व्यवसाय चलाया जा रहा है. इससे पहले भी जेसीबी लगाकर सैकड़ों ट्रक रेत यहां से पार की जा चुकी है. रोजाना यहां से करीब करीब 100 टन रेत पार कर दी जाती है. जबकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में जारी निर्देशों व कायदे कानूनों के तहत बगैर पर्यावरणीय क्लियरेंस के कही से भी खनिज के दोहन पर पाबंदी है. ऐसे में ग्राम पंचायत को नदी से रेत बेचने का अधिकार किसने दे दिया ये बड़ा सवाल है. यही नहीं लंबे समय से यहां जारी रेत की कसलाबाजारी को रोकने में प्रशासन ने कभी दिलचष्पी नहीं दिखाई. प्रशासन की ये कार्यशैली उसे भी सवालों के कटघरे में खड़ा करती है.