रायगढ़. तमनार ब्लॉक में फ्लाई एश राख की समस्या कोई नई नहीं है. गर्मी के दिन आते ही इस समस्या से ग्रामीण जूझने लगते हैं. तकरीबन एक दर्जन गांव के ग्रामीण एक दशक से इस समस्या से जूझ रहे हैं, लेकिन स्थाई सामाधान आज तक नहीं निकल पाया है. ग्रामीण शिकायत करते हैं, अधिकारी आते हैं और खानापूर्ति करके चले जाते हैं. ग्रामीण सहित मवेशी भी फ्लाईएश से होनें वाली बीमारी का शिकार होते जा रहे हैं.
क्या है फ्लाई एश
जिंदल पावर लिमिटेड तमनार में उत्पन्न होने वाली बिजली की अपशिष्ट राख को डैम बनाकर इकट्ठा किया जा रहा है. डैम में पाइप लाइन की मरदद से राख लाई जाती है. जिसके बाद राख डेम में छोड़कर उसी पाइप से पानी ले जाया जाता है. डैम की ऊंचाई लगातार बढ़ती जा रही है. जिसका खामियाजा ग्रामीण भुगत रहे हैं. गांव में घरों की ऊंचाई से दो गुनी उंचाई फ्लाई ऐश डेम की हो गई है.
250 मेगावाट के निस्तारी वाले डैम में 600 वाट की भी निस्तारी
प्लांट की जानकारी रखनें वाले विशेषज्ञ ग्रामीण बताते हैं कि राख डैम का निर्माण 250 मेगावाट के प्लांट से बिजली उत्पन होने के बाद निकलने वाली राख के लिए किया गया है, लेकिन यहां 600 मेगावाट प्लांट की राख की भी निस्तारी की जा रही है. इस कारण डैम लगातार भरते जा रहा है. जिसके कारण प्रबंधन भी लगातार डैम की ऊंचाई बढ़ाते जा रहा है.
20 किलोमीटर के दायरे में उड़ रही राख
राख गांव की ओर धीमी-धीमी कोहरे की तरह उड़ कर आती है. जो दूर से दिखाई देती है. लेकिन नजदीक से नहीं. जिस तरह फ्लाईएश राख गांव की ओर उड़ रही है, वो दिन दुर नहीं जब ग्रामीण आंख की बीमारी और चर्म रोग से जुझेंगे. सप्ताह भर से तेज आंधी तूफान के कारण राख तकरीबन 20 किलोमीटर के दायरे में उड़ रही है. जिसका खामियाजा स्थानीय ग्रामीण भुगत रहे हैं और जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए हैं.
ये हैं प्रभावित गांव
कुंजेमुरा, पाता, बांधापाली, रेगांव, सलिहाभांठा, गारे, डोलेसरा, कोसमपाली, तमनार, झिकाबहाल, महलोई, सहित आसपास के ग्रामीण समस्या से जूझ रहे हैं.
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