सुशील सलाम, कांकेर। छत्तीसगढ़ के कांकेर में धर्मांतरण पर रोक लगाने ग्रामीणों ने अनोखा कदम उठाया है। गांव के सरहद पर चारों दिशाओं में बोर्ड लगाते हुए पास्टर पादरी समेत धर्मांतरित लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके खिलाफ कांकेर मसीही समाज प्रमुख दिग्बल तांडी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की पर हाईकोर्ट ने याचिका को सिरे से खारिज करते ग्राम सभा फिर एसडीएम के पास जाने का निर्देश दिया है। इस मामले में दिग्बल तांडी का कहना है कि आगे सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे को लेकर चुनौती दी जाएगी।
कुडाल से शुरू हुआ और 14 गांव में लग गया बोर्ड
छत्तीसगढ़ में पहला बोर्ड कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर क्षेत्र अंतर्गत कुड़ाल गांव में ग्राम सभा आयोजन कर प्रस्ताव पारित करने के बाद लगाया गया। फिर देखते ही देखते 14 गांवों में बोर्ड लग गया, जिसमें परवी और जनकपुर, भीरागांव, घोडागांव, जुनवानी, हवेचुर, घोटा, घोटिया, सुलंगी, टेकाठोडा, बांसला, जामगांव, चारभाठा व मुसुरपुट्टा शामिल है। प्रत्येक गांव में बोर्ड के ऊपर बस्तर को पांचवी अनुसूची क्षेत्र होना व पेशा अधिनियम 1996 के तहत परम्परा एवं रूढ़िवादी संस्कृति को सहेजने का अधिकार होना उल्लेख किया गया है। बोर्ड पर साफ शब्दों में उल्लेख है कि गांव में किसी भी तरह का मसीही समाज का धार्मिक आयोजन वर्जित है।


कांकेर से दिग्बल तांडी और जगदलपुर से नरेन्द्र भवानी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर किया। याचिकाकर्ताओं ने याचिका दायर करने के दौरान कहा था कि पेशा एक्ट का हवाला देकर बोर्ड लगाया गया है, जो संविधान के अनुच्छेद 19(1)(डी) और 25 का उल्लंघन है। उनका यह भी आरोप था कि राज्य सरकार का 14 अगस्त 2025 के सर्कुलर से प्रेरित होकर ये बोर्ड लगाए गए हैं।

ग्रामीणों के पक्ष में हुई सुनवाई
मामले में चीफ जस्टिस राकेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की बेंच में सुनवाई हुई। डिवीजन बेंच ने उत्पादों को पेसा नियम 2022 के तहत ग्राम में और सम्बंधित अधिकारी के पास जाने का निर्देश दिया है। इस मामले में कांकेर मसीही समाज प्रमुख दिग्बल तांडी से बातचीत करने पर उन्होंने कुछ भी कहने से मना करते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।
रूढ़िवादी परंपराओं को बचाने गांव में लगाया है बोर्ड : सरपंच
लल्लूराम डॉट कॉम की टीम जब ग्राउंड रिपोर्टिंग करने वर्तमान में तनावपूर्ण चल रहे जामगांव पहुंची तो देखा कि गांव सरहद व ठीक चर्च के सामने बोर्ड लगा दिया गया है। सरपंच समेत गांव के लोगों ने इस पर समर्थन दिया और कहा कि गांव में बोर्ड लगाने के बाद से अब शांति व्यवस्था बनी हुई है। सरपंच भगवती उइके ने बताया कि हमारे गांव में कुछ रूढ़िवादी परम्पराए है, जिसे सभी आज से 20 साल तक मानते आ रहे थे, उसके बाद अचानक गांव में परम्पराओ को लेकर विरोध का स्वर उठने लगा। हमारे पति के जीवित रहते हर महिलाओं के हाथों में चूड़ी और माथे में बिंदी रहता था, जो पिछले कुछ सालों में अचानक बंद होने लगा। इन्ही रूढ़िवादी परम्पराओं को बचाने हमने बोर्ड लगाया है।

प्रार्थना सभा के दिन तैनात रहते हैं जवान
लल्लूराम डॉट कॉम की टीम चर्च में जाकर पास्टर पतिराम नेताम से बातचीत की। उनका कहना है कि शांति व्यवस्था तो बनी हुई है पर बाहर से हमारे परिवार के सदस्य हमसे मिलने नहीं आ सकते तो उनसे मिलने हम भी वहां नहीं जा सकते, क्योंकि उनके गांव में भी बोर्ड लगा दिया गया है। वहीं प्रार्थना के दिन रविवार को पुलिस के तीन जवान तैनात रहते हैं, जो मन में सवाल पैदा करता है।
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