रायपुर। आज के दौर में सबसे मुश्किल काम पत्रकारिता करना है, पत्रकारिता देख समझ कर करना. पत्रकारों को यह नसीहत मंत्री की कथित सेक्स सीडी स्कैण्डल मामले में गिरफ्तार किए गए वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा ने कोर्ट से जेल जाते वक्त दी है. विनोद वर्मा की न्यायिक रिमांड अवधि पूरी होने पर सोमवार को न्यायालय में पेश किया गया. जहां न्यायालय ने वर्मा की रिमांड अवधि 27 नवंबर तक बढ़ा दी.

बीबीसी के पूर्व पत्रकार और एडिटर गिल्ड के सदस्य विनोद वर्मा को पुलिस ने एक ऐसी एफआईआर पर गिरफ्तार किया जिसमें उनका कहीं भी नाम नहीं था. एफआईआर के महज चंद घंटो में रायपुर पुलिस रात को 3 बजे गाजियाबाद स्थित उनके घर से गिरफ्तार की वह भी बगैर किसी वारंट के. पुलिस का दावा है कि विनोद वर्मा ने ही कथित सेक्स सीडी बनवाई थी और उनके घर से 500 सीडी, पेन ड्राइव और लेपटॉप बरामद हुई है. विनोद वर्मा के वकीलों का कहना है कि पुलिस न्यायालय में इसे लेकर कोई पुख्ता दस्तावेज अब तक उपलब्ध नहीं करा पाई है.

झूठा फंसाया- विनोद वर्मा

विनोद वर्मा ने अपनी गिरफ्तार के दूसरे दिन गाजियाबाद कोर्ट से बाहर निकलते वक्त पत्रकारों से बात करते वक्त कहा था कि उनके खिलाफ साजिश की गई है और उन्हें फंसाया गया है. इधर कांग्रेस ने भी दावा किया था कि विनोद वर्मा अंतागढ़ टेप कांड और झीरम घाटी मामले में विनोद वर्म के हाथ कुछ ऐसे सबूत लगे थे जो कि सरकार के खिलाफ थे, इस वजह से उन्हें इस मामले में फंसाया गया है.