इंफाल। मणिपुर में एक बार हिंसा फिर भड़क उठी है. शुक्रवार को देर रात बिष्णुपुर जिले में हुई हिंसा में मैतेई समुदाय के तीन लोगों की मौत हो गई. इन घटना के बाद कुकी समुदाय के कई घर भी जला दिए गए हैं. हिंसा के बाद पुलिस बल मौके पर मौजूद है.

केंद्रीय बलों द्वारा संरक्षित बफर जोन बिष्णुपुर जिले के क्वाक्टा क्षेत्र से 2 किमी से अधिक आगे बनाया गया है. पुलिस ने बताया कि मैतेई समुदाय के बफर जोन को पार कर कई लोग घुस आए और उन्होंने वहां गोलीबारी की.

बीते दिन भी बिष्णुपुर में हमला हुआ था और उपद्रवियों ने इंडिया रिजर्व बटालियन (आईआरबी) के बटालियन मुख्यालय में में तोड़-फोड़ कर हथियार चुरा लिए. असॉल्ट राइफलों के साथ पुलिस के कई हथियार और करीब 19000 गोलियां चोरी की गई हैं.

एक अधिकारी ने बताया कि हिंसा के चलते इंफाल के दो जिलों क्वाक्ता और चुराचांदपुर में सुबह 5 बजे से शाम 6 बजे तक कर्फ्यू में दी गई छूट अब घटाकर सुबह 5 से 10.30 बजे तक कर दी गई है.

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद 3 मई को हिंसा भड़क उठी थी.

मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है, और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि करीबन 40 फिसदी आदिवासी आबादी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं.