दिल्ली. जम्मू-कश्मीर की अति संवेदनशील अनंतनाग संसदीय सीट पर इस बार भाजपा गठबंधन से अलग होने के बाद पीडीपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की लोकप्रियता की परीक्षा होगी।

2014 में इस सीट से जीत दर्ज करा चुकीं महबूबा को इस बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीए मीर और नेशनल कांफ्रेंस के उम्मीदवार व जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश हसनैन मसूदी से चुनौती मिलेगी। इस बार मुफ्ती के सामने 2014 के प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती होगी।

जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग लोकसभा सीट पर पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के बीच कांटे का मुकाबला होता है। जबकि भाजपा प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाते हैं। हालांकि इस बार विश्लेषकों का मानना है कि पीडीपी की अध्यक्ष ने यहां से चुनाव लड़कर बहुत बड़ा जोखिम लिया है। क्योंकि यहां उनके खिलाफ भाजपा के साथ गठबंधन करने की वजह से लोगों में बहुत गुस्सा है। यहां चुनावी मैदान में मौजूद 18 प्रत्याशियों में सोफी यूसुफ भाजपा से मैदान में हैं।

अनंतनाग लोकसभा सीट पारंपरिक रूप से पीडीपी का मजबूत गढ़ रहा है और महबूबा की इस सीट से जीत या हार का राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव पर असर पड़ेगा। राज्य में अभी राष्ट्रपति शासन लागू है। अनंतनाग सीट कई मायनों में अहम है। 2014 में इस सीट पर राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जीत दर्ज की थी पर उनके इस्तीफे के दो साल तक इस सीट पर उपचुनाव नहीं हो पाया है। इसके पीछे घाटी में अशांति का माहौल जिम्मेदार है। चुनाव आयोग के आंकड़ों को देखे तो 1996 में छह महीने के भीतर उपचुनाव कराने के कानून के बाद यह सबसे ज्यादा समय तक रिक्त रहने वाली सीट है। इस सीट से महबूबा के अलावा पीडीपी अध्यक्ष रहे मुफ्ती मोहम्मद सईद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे मोहम्मद शफी कुरैशी भी सांसद बन चुके हैं।

इन सबके बीच मजेदार बात यह कि यहां से उत्तर प्रदेश के शम्स ख्वाजा भी चुनाव लड़ रहे हैं, जो जम्मू एवं कश्मीर का गैर-प्रादेशिक विषय है, यानी इनके पास संविधान की धारा 370 के अंतर्गत जम्मू एवं कश्मीर का स्थायी निवास प्रमाणपत्र नहीं है। ऐसा करने वाले संभवत: वह पहले प्रत्याशी हैं।

जम्मू-कश्मीर की पहली कद्दावर महिला नेता के रूप में पहचान बनाने वाली महबूबा मुफ्ती अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद की सियासी विरासत को संभाल रही हैं। अलगाववादियों के प्रति नरम रवैया रखने वाली महबूबा मुफ्ती ने पिता की छत्रछाया में राजनीति का ककहरा सीखा। मुफ्ती कश्मीर के पत्थरबाजों और आतंकियों के प्रति भी सहानुभूति रखती हैं।

ऐसा पहली बार हो रहा है कि एक लोकसभा सीट के लिए मतदान तीन चरणों में होंगे। ऐसा दक्षिण कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने की वजह से किया जा रहा है। अनंतनाग सीट पर 23, 29 अप्रैल और 6 मई को मतदान होंगे। अनंतनाग लोकसभा सीट का चुनाव हमेशा से सुरक्षाबलों के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है। 2014 के चुनाव में यहां 28 फीसदी मतदान हुआ था। इस दौरान अनंतनाग के अलग-अलग हिस्सों में सुरक्षाबलों और स्थानीय लोगों के संघर्ष में करीब 25 जवान घायल हुए थे। इस चुनाव से पहले त्राल और अवंतीपोरा में कई राजनीतिक हत्याएं भी हुई थी। 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी यहां छिटपुट हिंसा हुई थी। इस दौरान 27 फीसदी लोगों ने मतदान किया था।

मौजूदा सांसद : महबूबा मुफ्ती

यूनिवर्सिटी ऑफ कश्मीर से कानून की पढ़ाई की .

1996 में कांग्रेस के टिकट पर बिजबेहरा से विधायक बनीं.

1999 में श्रीनगर सीट से पीडीपी से लोकसभा चुनाव लड़ा और उमर अब्दुला से हार गईं.

2002 में दक्षिणी कश्मीर से विधानसभा का चुनाव जीता.

2004 में पहली बार अनंतनाग सीट चुनाव जीत कर सांसद बनी ‘ 2014 में एक बार फिर अनंतनाग सीट से लोकसभा चुनाव जीता.

2016 से लेकर 19 जून 2018 तक जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री रहीं .

1996 में पहली बार महबूबा मुफ्ती कांग्रेस के टिकट पर अनंतनाग की बिजबेहरा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ीं और जीतीं। इसके बाद महबूबा ने 1999 में श्रीनगर संसदीय सीट से नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं। इसके बाद 2002 में महबूबा फिर से विधानसभा चुनाव जीतीं। 2004 में महबूबा मुफ्ती पहली बार लोकसभा चुनाव में उतरीं सांसद बनीं। .